क्या पीरियड्स के दौरान योग करना सही है?

Yoga

जब हमारे पीरियड्स आते हैं, उस समय हमें मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समय हमारे मन और शरीर दोनों को आराम की जरूरत होती है। पुराने जमाने में जब महिलाएं पीरियड्स में होती थीं, तो उन्हें 4-5 दिनों के लिए घर के काम, पूजा आदि से दूर रखा जाता था। ऐसा सिर्फ गांव तक सीमित नहीं है, शहरों में भी कई घरों में यह प्रथा देखने को मिलती है। इसका कारण अपवित्र होना नहीं, बल्कि महिलाओं को कुछ दिन के लिए आराम देना था।

अब जब हमारी पूरी बॉडी को रेस्ट की जरूरत होती है तो ऐसे समय में सवाल उठता है कि क्या पीरियड्स के दौरान योगासन करना सही है या नहीं। आइए, इस ब्लॉग में विस्तार से जानें कि पीरियड्स के दौरान योगासन करना फायदे मंद है या नुकसान दायक।

पीरियड्स क्या होते है | मासिक धर्म चक्र क्या है | What is periods in hindi

पीरियड्स, जिन्हें मासिक धर्म भी कहा जाता है, महिलाओं के शरीर में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है। हर महीने, महिलाओं के गर्भाशय की अंदरूनी परत मोटी हो जाती है ताकि अगर प्रेग्नेंसी हो, तो भ्रूण उसमें सुरक्षित रह सके।

लेकिन अगर प्रेग्नेंसी नहीं होती, तो यह परत शरीर से खून और टिशू के रूप में बाहर निकल जाती है। इसे ही पीरियड्स कहते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर हर 28-30 दिनों में होती है और 3-7 दिनों तक चलती है। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पेट में दर्द, ऐंठन, और कमजोरी महसूस हो सकती है, जो पूरी तरह से सामान्य है।

पीरियड में योग करना चाहिए या नहीं | Can i do yoga in periods

पीरियड्स के दौरान योग करना पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद और आराम पर निर्भर करता है। हालांकि, यदि आप इस समय योगासन करते हैं, तो इससे कमजोरी दूर हो सकती है, ऐंठन कम हो सकती है, मूड स्विंग्स नियंत्रित हो सकते हैं और मांसपेशियों को आराम मिल सकता है।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात सही योग आसनों का चयन है। पीरियड्स के दौरान कुछ योगासन नहीं करने चाहिए, क्योंकि वे नुकसानदायक हो सकते हैं। सही योगासन करने से पीरियड्स के दौरान आपको अधिक आराम और राहत महसूस होगी।

मासिक धर्म चक्र के दौरान कसरत कब करें | When to exercise during your menstrual cycle

पीरियड्स के पहले दिन जब दर्द और थकान अधिक होती है, तो हल्के और आरामदायक आसनों का चयन करना चाहिए। इस समय दीर्घ श्वास (Diaphragmatic Breathing), अनुलोम-विलोम और शवासन से आराम मिलता है। पीरियड्स के दूसरे से अंतिम दिन तक बालासन (Child’s Pose), भ्रामरी प्राणायाम (Humming Bee Breath), और तितली आसन (Butterfly Pose) मदद कर सकते हैं। ये आसन शरीर को आराम देते हैं और मासिक धर्म के लक्षणों को कम करते हैं।

पीरियड्स के दौरान कौन सा योग करना चाहिए | Yoga poses during periods

पीरियड्स के दौरान हल्के और आरामदायक योगासन करने से दर्द और असुविधा कम हो सकती है। यहाँ कुछ योगासन दिए गए हैं जो पीरियड्स के दौरान करने के लिए अच्छे होते हैं:

1) सुप्त बद्ध कोणासन (Supta Baddha Konasana) : 

अगर आपको पीरियड्स के दौरान अक्सर चिंता और चिड़चिड़ाहट महसूस होती है, तो सुप्त बद्ध कोणासन आपके लिए एकदम सही आसन है। यह आसन सिरदर्द, थकान, अनिद्रा और अन्य पीएमएस लक्षणों को शांत करने में मदद करता है। यह आपके पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और मासिक धर्म के दर्द से राहत दिलाता है।

 करने का तरीका :

  1. योगा मैट पर लेट जाएं, चेहरा छत की ओर रखें, रीढ़ की हड्डी सीधी और कंधे रिलैक्स्ड रखें।
  2. अपने हाथों को हिप्स के पास या पेट पर रखें।
  3. घुटनों को मोड़कर पैरों को एक साथ लाएं।
  4. एड़ियों को पेल्विक क्षेत्र के पास ले जाएं।
  5. धीरे-धीरे सांस छोड़ें और लें; आप इस स्थिति में 20-30 सेकंड तक रह सकते हैं।

2) बालासन (Child’s Pose):

 बालासन मुद्रा आपके प्रजनन अंगों को लचीला बनाती है और आराम देती है। यह मासिक धर्म के दर्द, खासकर पीठ के दर्द को कम करने का एक बढ़िया तरीका है। यह आसन पीठ की मांसपेशियों को खींचता है और आराम दिलाता है।

करने का तरीका :

  •  ज़मीन पर वज्रासन में बैठ जाएं।
  • साँस अंदर लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर सीधा उठा लें।
  • अब साँस  बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें।
  • आगे झुकते रहें जब तक आपकी हथेलियाँ ज़मीन पर न टिक जाएं।
  • फिर अपने सिर को भी ज़मीन पर टिका लें।

3) तितली मुद्रा (Butterfly Pose):

पीरियड्स के दौरान शरीर का निचला हिस्सा भारी और फूला हुआ महसूस हो सकता है। तितली मुद्रा आपके पेट के अंगों, अंडाशय और मूत्राशय को सक्रिय करती है, जिससे रक्तस्राव आसानी से होता है।

करने का तरीका :

  • योगा मैट पर सुखासन में बैठकर एड़ियों को अंदर की ओर खींचें।
  • दोनों पैरों को हाथों से पकड़ें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  • सांस अंदर लें और हाथों को घुटनों पर रखें।
  • सांस छोड़ते हुए घुटनों को ऊपर-नीचे करें, जब तक घुटने ज़मीन को स्पर्श न करें।
  • सामान्य रूप से सांस लेते रहें और इसे 15-20 बार दोहराएं।

यह आसन मानसिक और शारीरिक तनाव को कम करने में मदद करता है। सीधे लेटकर गहरी सांस लेने से पूरे शरीर को आराम मिलता है। यह मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन को कम करने का सबसे प्रभावी आसन है। यह पीठ के निचले हिस्से में दबाव और दर्द को कम करने में भी मदद करता है।

4) शवासन (Shavasana):

शवासन का नाम “शव” पर रखा गया है, जिसका मतलब है “लाश”। यह एक आराम की मुद्रा होती है। यह आसन रक्तचाप (BP), सिरदर्द, अनिद्रा और तनाव को दूर करने में बहुत मददगार होता है। सीधे लेटकर गहरी सांस लेने से पूरे शरीर को आराम मिलता है और मानसिक शांति मिलती है। इस आसन को पीरियड में करने से शरीर और मन को गहरा आराम मिलता है।

करने का तरीका :

  • योगा मैट पर आराम से लेटें।
  • दोनों हाथों को शरीर से थोड़ा दूर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें।
  • पैरों को थोड़ा फैला कर रखें, लगभग 45 डिग्री के कोण पर।
  • रीढ़ को सीधा और कंधों को जमीन पर आरामदायक स्थिति में रखें।
  • अपने शरीर को पूरी तरह से आराम दें और किसी भी प्रकार की हलचल न करें।
  • अपनी आंखें बंद रखें और नाक से गहरी सांस लें।
  • सिर को सीधा रखें, इसे दोनों तरफ न झुकाएं।
  • चार से पांच मिनट बाद, धीरे-धीरे आंखें खोलें और आराम से उठें।

पीरियड्स के दौरान श्वास अभ्यास | Breathing Exercises Yoga

1) दीर्घ श्वास (Diaphragmatic Breathing) : दीर्घ श्वास, जिसे पेट की गहरी सांस लेना भी कहते हैं, हार्मोनल संतुलन में मदद करता है और कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित करता है। गहरी सांस लेने से शरीर शांत और संतुलित होता है, जिससे प्रजनन हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन भी बेहतर होता है।

 इसे करने के लिए आरामदायक स्थिति में बैठें या लेटें। एक हाथ को छाती पर और दूसरे को पेट पर रखें। नाक से गहरी सांस लें, जिससे पेट फूल जाए। फिर धीरे-धीरे नाक से सांस छोड़ें, जिससे पेट वापस सामान्य हो जाए। इसे 5-10 मिनट तक करें। यह अभ्यास तनाव को कम करने और मानसिक शांति पाने में मदद करता है।

2) अनुलोम-विलोम (Alternate Nostril Breathing) : अनुलोम-विलोम एक ऐसा श्वास अभ्यास है जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। यह प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है। 

इसे करने के लिए, सबसे पहले आरामदायक स्थिति में बैठें। फिर अपने दाएं नासिका छिद्र को बंद करें और बाएं नासिका छिद्र से गहरी सांस लें। इसके बाद बाएं नासिका छिद्र को बंद करें और दाएं नासिका छिद्र से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को 5-10 मिनट तक दोहराएं। यह अभ्यास मानसिक शांति और संतुलन पाने में सहायक होता है।

3) भ्रामरी प्राणायाम (Humming Bee Breath) : भ्रामरी प्राणायाम सिरदर्द को कम करने में सहायक है।यह प्राणायाम नर्वस सिस्टम को शांत करता है और मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। इससे मस्तिष्क में मेलाटोनिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन्स का स्तर संतुलित होता है, जो नींद और मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है।

 इसे करने के लिए आरामदायक स्थिति में बैठें और अपनी आंखें बंद करें। गहरी सांस लें और श्वास छोड़ते समय “म” की ध्वनि करें, जैसे भौंरे की आवाज निकलती है। इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं। यह अभ्यास मानसिक शांति और तनाव को कम करने में बहुत प्रभावी है।

ये योग आसन और श्वास अभ्यास पीरियड्स के दौरान दर्द और असुविधा को कम करने में मदद कर सकते हैं। हमेशा अपने शरीर की सुनें और यदि किसी अभ्यास से असुविधा हो, तो उसे तुरंत बंद कर दें। अगर कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या योग प्रशिक्षक से सलाह लेना उचित होगा।

पीरियड्स के दौरान इन योगासनों से बचना चाहिए | Which yoga poses to avoid during periods

इनवर्जन पोज़ेस जैसे शीर्षासन, हैंडस्टैंड, और कंधरासन से रक्त प्रवाह में रुकावट हो सकती है और यह मासिक धर्म के प्राकृतिक प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, ये आसन प्राण के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं। गहरे आगे की ओर झुकने वाले आसन जैसे उत्तानासन पेट के निचले हिस्से पर दबाव डालते हैं, जिससे दर्द बढ़ सकता है। कोर वर्कआउट जैसे धनुरासन से पेट और गर्भाशय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। स्कॉर्पियन पोज़ संतुलन की मांग करता है और पेट पर अनावश्यक दबाव डाल सकता है।

पीरियड में नहाना चाहिए या नहीं | Can i take bath during periods

पीरियड्स के दौरान नहाना चाहिए या नहीं, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है। चलिए, हम आपको आयुर्वेद और विज्ञान दोनों दृष्टिकोणों से बताते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार पीरियड में नहाना

आयुर्वेद के अनुसार, आयुर्वेद में मासिक धर्म को शुद्धिकरण की प्रक्रिया माना जाता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का तरीका है। आयुर्वेदिक चिकित्सक सलाह देते हैं कि मासिक धर्म के दौरान ठंडे पानी से नहाने से बचना चाहिए क्योंकि यह “वात दोष” को असंतुलित कर सकता है, जिससे ठंडक और शुष्कता बढ़ सकती है। इसके बजाय, गर्म पानी से नहाना तनाव को कम करता है, मांसपेशियों को आराम देता है, और रक्त प्रवाह में सुधार करता है। इससे शरीर का संतुलन बना रहता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीरियड में नहाना

विज्ञान के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान नहाना पूरी तरह से सुरक्षित और फायदेमंद है। नहाने से शरीर साफ रहता है और मासिक धर्म के दौरान होने वाली गंध को कम करने में मदद मिलती है। गर्म पानी से नहाना मासिक धर्म के दर्द और ऐंठन को कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों को आराम देता है। ठंडे पानी से नहाना भी सुरक्षित है और यह आपकी पसंद और आराम पर निर्भर करता है। 

FAQs

एक स्वस्थ स्त्री में मासिक चक्र कितने दिनों का होता है?

एक स्वस्थ स्त्री का मासिक चक्र सामान्यतः 28-32 दिनों का होता है। हालांकि, हर महिला का चक्र अलग हो सकता है, और 21-35 दिनों के बीच का चक्र भी सामान्य माना जाता है। मासिक चक्र की अवधि उम्र, स्वास्थ्य, और जीवनशैली पर निर्भर कर सकती है।

क्या पीरियड में कपालभाति करना चाहिए?

पीरियड्स के दौरान कपालभाति प्राणायाम से बचना चाहिए क्योंकि यह पेट पर अधिक दबाव डालता है। यह प्राणायाम तेजी से सांस छोड़ने पर आधारित है, जो मासिक धर्म के दौरान असुविधाजनक हो सकता है। इसके बजाय, दीर्घ श्वास और अनुलोम-विलोम जैसे शांतिपूर्ण श्वास अभ्यास अधिक फायदेमंद हो सकते हैं।

क्या योग से पीरियड फ्लो बढ़ता है?

हल्का योग, जैसे कि बालासन (Child’s Pose), भ्रामरी प्राणायाम (Humming Bee Breath), और तितली आसन (Butterfly Pose), पीरियड फ्लो को नहीं बढ़ाते हैं, बल्कि मासिक धर्म के दौरान आराम और राहत प्रदान करते हैं। ये आसन पेट की ऐंठन और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं।

क्या पीरियड्स में सूर्य नमस्कार कर सकते हैं?

पीरियड्स के दौरान सूर्य नमस्कार करने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों पर जोर पड़ता है और यह शारीरिक मेहनत का अधिक मांग करता है। मासिक धर्म के दौरान शरीर को अधिक आराम और विश्राम की आवश्यकता होती है।

पीरियड पर योगा करने के लिए क्या पहनें?

पीरियड्स के दौरान योग करने के लिए आरामदायक और ढीले कपड़े पहनने चाहिए। कपड़े ऐसे हों जो आसानी से खिंचाव वाले और सांस लेने योग्य हों, ताकि आप आसानी से सभी आसनों का अभ्यास कर सकें और किसी भी प्रकार की असुविधा से बच सकें।

नॉर्मल पीरियड कितने दिन तक रहता है?

सामान्य पीरियड 3-7 दिनों तक रहता है। हर महिला का अनुभव अलग हो सकता है, और मासिक धर्म की अवधि विभिन्न कारकों जैसे उम्र, स्वास्थ्य, और जीवनशैली के आधार पर भिन्न हो सकती है।

पीरियड के कितने दिन बाद बाल धोने चाहिए?

पीरियड के दौरान या बाद किसी भी दिन बाल धो सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, ठंडे पानी से बचकर गर्म पानी का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर को आराम देता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बाल धोने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, सबसे शुद्ध दिन पांचवां माना जाता है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

पीरियड के कितने दिन बाद योग करना चाहिए?

पीरियड्स के दौरान हल्का योग किया जा सकता है, लेकिन भारी योगासन से बचना चाहिए। मासिक धर्म के समाप्त होने के बाद आप सामान्य योग अभ्यास फिर से शुरू कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि आपका शरीर आराम और स्वस्थ हो।

पीरियड के दौरान कैसे नहाएं?

पीरियड के दौरान नहाने के लिए गर्म पानी का उपयोग करें, जो मांसपेशियों को आराम देता है और तनाव को कम करता है। नहाने से शरीर साफ और ताजगी महसूस करता है, और यह मासिक धर्म के दौरान होने वाली गंध को भी कम करता है।

पीरियड के दौरान कैसे सोना चाहिए?

पीरियड के दौरान आरामदायक स्थिति में सोएं। पीठ के बल या करवट लेकर सोना अधिक आरामदायक हो सकता है। कुछ महिलाएं अपने पेट के बल सोना पसंद करती हैं, जो पेट की ऐंठन को कम करने में मदद करता है। अपनी सुविधा और आराम के अनुसार सोने की स्थिति चुनें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!