गोखरू के फायदे!
हमारे आस-पास या घर के बगीचों में कई तरह के जंगली पौधे उग आते हैं, जिनमें गोखरू का पौधा भी शामिल होता है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी जिसका नाम हमारे पुराने घरेलू नुस्खों में अक्सर आता है, लेकिन इसके वास्तविक लाभों से अनजान हैं बहुत से लोग। आइए, इस लेख के माध्यम से हम गोखरू के छिपे हुए गुणों का पता लगाएं और जानें कि कैसे यह हमारे दैनिक जीवन में एक अमूल्य खजाना साबित हो सकता है।
मेरी दादी माँ हमेशा कहती थीं कि प्रकृति में हर रोग का इलाज मौजूद है, बस उसे पहचानने की देर है। जब मैंने पहली बार गोखरू के बारे में सुना, तो मेरी प्रतिक्रिया थी – ‘यह क्या होता है?’ लेकिन जैसे-जैसे मैंने इसके गुणों के बारे में जाना, तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।
तो चलिए, जानें कि कैसे गोखरू हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा का एक अनूठा कवच बन सकता है। यह लेख आपको गोखरू की अनछुई खूबियों से रूबरू कराएगा और बताएगा कि कैसे यह जड़ी-बूटी न केवल आपके स्वास्थ्य को निखार सकती है, बल्कि आपके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार ला सकती है।
गोखरू क्या होता है | Gokhru
गोखरू या \’गोक्षुर जिसे वैज्ञानिक रूप से ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस (Tribulus terrestris) कहते हैं और जिसे लोकप्रिय रूप से Land caltrops या Puncture vine भी कहा जाता है, एक प्राचीन औषधीय पौधा है, यह आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। गोखरू की एक खास बात यह है कि यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, चाहे वह उपजाऊ हो या बंजर। इसकी यह विशेषता इसे अधिक जीवंत और लचीला बनाती है, और इसी कारण से इसे अक्सर खेतों और खाली जमीनों पर उगते हुए देखा जा सकता है।
गोखरू का पौधा | Gokhru plant
गोखरू की पहचान-गोखरू की मुख्य पहचान इसके अनोखे फल और बीजों से होती है। इसके फल विशेष रूप से छोटे, गोल और चपटे होते हैं, जिनमें पांच कोण वाले कटाव और कई कंटक होते हैं। गोखरू की जड़ें नर्म, रेशेदार, और हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनसे एक विशेष सुगंध आती है। गोक्षुर (गोखरू) स्वाद में कड़वा होता है,इसके फूल पीले रंग के होते हैं और यह पौधा ज्यादातर बरसात के मौसम में उगता है।
इसके पत्तों में मौजूद पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, और विटामिन सी इसे घरेलू उपचारों में उपयोगी बनाते हैं। कुछ क्षेत्रों में लोग इसके बीजों से आटा बनाकर उपयोग करते हैं। गोखरू भारत के उत्तरी हिस्सों, हरियाणा, राजस्थान, साथ ही अफ्रीका, दक्षिणी यूरोप, और कुछ एशियाई देशों में आमतौर पर पाया जाता है।
गोखरू कितने प्रकार के होते हैं | Types of gokhru in hindi
गोखरू का नाम इसकी बाह्य आकृति और गुणों के कारण पड़ा है। इसके फलों में नुकीले कांटे होते हैं जो गोखर (गाय के पैर के खुर) की तरह दिखते हैं। इसी विशेषता के कारण इसे गोखरू कहा जाता है।विभिन्न क्षेत्रों में गोखरू की अन्य प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, लेकिन उपरोक्त दो प्रकार सबसे अधिक प्रचलित हैं।
1) छोटा गोखरू (Tribulus Terrestris): यह सबसे आम प्रकार का गोखरू है जो आयुर्वेदिक औषधियों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों की यौन समस्याओं और मूत्र संबंधी विकारों के इलाज में कारगर होता है।
2) बड़ा गोखरू (Pedalium Murex): यह प्रकार छोटे गोखरू से बड़ा होता है और इसका उपयोग भी आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता है। यह किडनी और मूत्राशय संबंधी विकारों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
गोखरू खाने के फायदे | Gokhru ke fayde
गोखरू जड़ी बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। जानिए गोखरू के कुछ अद्भुत फायदे ( gokhru benefits)
1) इम्युनिटी के साथ फिटनेस
सभी उम्र के लोगों के लिए अच्छी इम्युनिटी बेहद जरूरी है,परंतु असंतुलित आहार, तनाव, प्रदूषण, और रसायनों के अधिक उपयोग के कारण कभी-कभी हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है। ऐसे में गोखरू का महत्व बढ़ जाता है। गोखरू में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेटरी घटक होते हैं जो इम्युनिटी बनाये रखता है।
गोखरू एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो न सिर्फ शारीरिक ऊर्जा, मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि यह खेल और अन्य शारीरिक गतिविधियों, जैसे कि बॉडी बिल्डिंग करने वाले लोगों के लिए भी खास तौर पर फायदेमंद होती है। इसका कारण यह है कि यह शरीर की थकान और कमजोरी को दूर करने का काम करती है। साथ ही, गोखरू के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में भी सहायक होते हैं, जिससे व्यायाम के दौरान आराम महसूस होता है।
2) यूरिन इन्फेक्शन में गोखरू के फायदे
वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, गोखरू में मौजूद टैनिक एसिड (tannic acid), डायोसजेनिन (diosgenin), और क्वेरसेटिन (quercetin) जैसे तत्व यूटीआई की समस्या का इलाज करने में न केवल मददगार होते हैं, बल्कि इन तत्वों के औषधीय गुण शरीर में संक्रमण के विकास को रोकते हैं जिससे इन्फेक्शन से बचाव होता हैं। इस प्रकार, गोखरू का उपयोग यूटीआई के उपचार और निवारण में एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय हो सकता है।
3) सिर दर्द में आराम
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सिर दर्द एक आम समस्या बन गई है, जिसके पीछे पेट की गड़बड़ी भी एक कारण हो सकती है। गोखरू पाउडर में पित्त नाशक गुण होने के कारण यह सिर दर्द और पेट की समस्याओं में आराम दिला सकता है। गोखरू में मुख्यतः सैपोनिन्स, फ्लेवोनोइड्स, और अल्कलॉइड्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे इन समस्याओं में उपयोगी बनाते हैं।
इसके अलावा, गोखरू में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो सिर दर्द और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान कर सकते हैं।
4) गोखरू के फायदे किडनी के लिए
किडनी हमारे शरीर की सफाई में बहुत महत्वपूर्ण होती है। आयुर्वेद के अनुसार, गोखरु में पोटैशियम और नाइट्रेट की मात्रा काफी अधिक होती है और इसमें एंटीएथेलिटिक गुण भी पाए जाते हैं। ये गुण किडनी की पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ने और उन्हें मूत्रमार्ग से बाहर निकालने में सहायक होते हैं। इसके साथ ही, गोखरू यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे किडनी से जुड़ी समस्याएं जैसे कि पथरी और अन्य बीमारियों में लाभ मिलता है।
5) त्वचा की समस्याओं एक समाधान
त्वचा की समस्याएं जैसे कि मुंहासे, फुंसियां, झुर्रियां, और काले घेरे आम हैं, और लोग इन्हें ठीक करने के लिए महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स का उपयोग करते हैं। कई बार इन प्रोडक्ट्स का प्रयोग समस्या को और भी बढ़ा देता है और त्वचा को नुकसान पहुंचाता है।
इस संदर्भ में, गोखरू का उपयोग एक प्राकृतिक और उपयोगी विकल्प हो सकता है। गोखरू में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा संबंधी विभिन्न समस्याओं के उपचार में सहायक हो सकते हैं। गोखरू के अर्क का उपयोग त्वचा पर किया जा सकता है, जिससे मुंहासे, फुंसियां, झुर्रियां, और काले घेरों की समस्याएं कम हो सकती हैं। इसका प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्तेमाल त्वचा को कोमल और स्वस्थ बनाने में मदद कर सकता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है, गोखरू के फल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। एक्जिमा एक प्रकार की इंफ्लेमेटरी त्वचा समस्या है, इसलिए गोखरू का इस्तेमाल एक्जिमा से प्रभावित त्वचा के उपचार में सहायक हो सकता है।
इस प्रकार, गोखरू त्वचा की समस्याओं के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकता है, जो कृत्रिम केमिकल्स के बजाय प्राकृतिक गुणों के माध्यम से त्वचा की देखभाल करता है।
6) गोखरू के फायदे पुरुषों के लिए
गोखरू सेवन करने से पुरुषों के स्वास्थ्य में कई तरह के बदलाव आते हैं जिससे शारीरिक और मानसिक दोनो तरह की समस्या दूर हो जाती है इसके अलावा ये प्रसिद्ध जड़ी-बूटी जिसे यौन स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। गोखरू के सेवन से पुरुषों स्पर्म में की संख्या और गतिशीलता में वृद्धि होने के साथ-साथ यौन इच्छा में भी बढ़ोतरी होना माना गया है। है। पुरुषों में यौन इच्छा में कमी वाले मरीजों के लिए लाभदायक माना जाता है। जाता है। इसका उपयोग से मर्दाना ताकत बढ़ती है।
बांझपन और नपुंसकता के उपचार में गोखरू की प्रभावशीलता पर अधिक विस्तार से शोध की आवश्यकता है, हालांकि आयुर्वेदिक ज्ञान और मौजूदा शोधों के अनुसार इसका नियमित सेवन नपुंसकता के लक्षणों में कमी ला सकता है। गोखरू में विभिन्न पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के कारण यह शारीरिक और यौन स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करता है।
यह एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है, जो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पुरुषों के लिए एक आवश्यक हार्मोन है, गोखरू से मर्दाना ताकत बढ़ती है।
7) गोखरू के फायदे महिलाओं के लिए
गोखरू का इस्तेमाल महिलाओं में इनफर्टिलिटी और अन्य प्रजनन संबंधी समस्याओं के लिए लाभकारी माना जाता है। गोखरू के फलों में मौजूद तत्व प्रजनन क्षमता में सुधार लाने और हार्मोनल संतुलन में मदद कर सकते हैं। इसमें मौजूद ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन और गोनैडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन के स्तर को बढ़ाने वाले गुण यौन समस्याओं का समाधान करने में सहायक हो सकते हैं।
गोखरू का उपयोग महिलाओं में पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर) की समस्या को ठीक करने में भी मदद कर सकता है, जो बांझपन का एक प्रमुख कारण माना जाता है। यह मासिक धर्म के दर्द को कम करने में भी लाभकारी है और महिलाओं में मेनोपॉज के लक्षणों को कम कर सकता है।
8) जोड़ों के दर्द का इलाज
मौसम के बदलाव या विशेष रूप से बदली भरे मौसम में, जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगता है, जिसके कारण सीढ़ी चढ़ना, चलना और दैनिक गतिविधियां करना बहुत कठिन हो जाता है। इस समय, गोखरू का प्रयोग करने से जोड़ों की सूजन और दर्द में काफी हद तक कमी आ सकती है जिससे रोजमर्रा के कामकाज में आसानी होती है क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करते हैं। गोखरू को चाय या काढ़े के रूप में लेने से जोड़ों की अकड़न और दर्द में राहत मिलती है।
साथ ही, गोखरू के तेल से जोड़ों पर मालिश करना भी दर्द में राहत प्रदान कर सकता है। गोखरू का नियमित उपयोग जोड़ों के दर्द में सुधार लाने के साथ-साथ लचीलापन बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है।
गोखरू और कौंच के बीज के फायदे
गोखरू और कौंच के बीजों को मिलाकर उपयोग करने से जो फायदे होते हैं, वे निम्नलिखित तालिका में दर्शाए गए हैं:
गुण/फायदे | गोखरू | कौंच के बीज |
---|---|---|
यौन स्वास्थ्य | यौन क्षमता और लिबिडो में सुधार करता है। | शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि। |
ऊर्जा और स्टैमिना | शारीरिक शक्ति और स्टैमिना में वृद्धि। | मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति में वृद्धि। |
हार्मोनल संतुलन | हार्मोन संतुलन में मदद करता है। | टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाता है। |
मूत्र संबंधी स्वास्थ्य | यूरिनरी ट्रैक्ट की सफाई और किडनी की पथरी में लाभ। | – |
तनाव और चिंता | – | तनाव और चिंता में कमी, मानसिक शांति प्रदान करता है। |
अश्वगंधा और गोखरू के फायदे
अश्वगंधा और गोखरू को मिलाकर उपयोग करने से होने वाले फायदे निम्नलिखित तालिका में दिए गए हैं:
फायदे | अश्वगंधा | गोखरू |
---|---|---|
यौन स्वास्थ्य | यौन शक्ति और लिबिडो बढ़ाता है। | यौन क्षमता में सुधार और लिबिडो बढ़ाता है। |
तनाव और चिंता कम करना | तनाव और चिंता कम करता है। | – |
मांसपेशियों की ताकत | मांसपेशियों की ताकत बढ़ाता है। | मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि। |
हार्मोनल संतुलन | हार्मोन संतुलन में सहायक। | हार्मोन संतुलन में मदद करता है। |
शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाना | शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाता है। | शारीरिक शक्ति और स्टैमिना में वृद्धि। |
अश्वगंधा सफेद मूसली शतावरी गोखरू
अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, और गोखरू को मिलाकर उपयोग करने से होने वाले फायदे निम्नलिखित तालिका में दिए गए हैं:
फायदे | अश्वगंधा | सफेद मूसली | शतावरी | गोखरू |
---|---|---|---|---|
यौन स्वास्थ्य और वीर्य वृद्धि | लिबिडो बढ़ाता है। | वीर्य वृद्धि। | शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाती है। | यौन क्षमता में सुधार। |
शारीरिक और मानसिक शक्ति | ताकत बढ़ाता है। | शारीरिक बल बढ़ाती है। | मानसिक शक्ति बढ़ाती है। | स्टैमिना में वृद्धि। |
हार्मोनल संतुलन | हार्मोन संतुलन। | – | महिलाओं में हार्मोन संतुलन। | हार्मोन संतुलन। |
तनाव और चिंता में कमी | तनाव कम करता है। | – | – | – |
सामान्य स्वास्थ्य वर्धक | इम्युनिटी बढ़ाता है। | स्वास्थ्य वर्धक। | शारीरिक बल और ऊर्जा। | मूत्र संबंधी स्वास्थ्य। |
गोखरू खाने का तरीका | Gokhru uses in hindi
गोखरू का सेवन करने के विभिन्न तरीके हैं। यहां कुछ प्रचलित तरीके दिए गए हैं:
गोखरू काढ़ा:
- गोखरू का काढ़ा बनाने के लिए सूखे फलों या पत्तियों को पानी में उबालें।
- इसे कुछ मिनट तक उबालने के बाद छान लें।
- सुबह-शाम गोखरू के काढ़े को पियें।
गोखरू पाउडर:
- गोखरू के सूखे फलों का पाउडर बना लें।
- गोखरू पाउडर का उपयोग पानी या दूध के साथ मिलाकर करे।
- गोखरू के पाउडर को एक बार रात में सेवन करें।
गोखरू टी (चाय):
- गोखरू के सूखे फलों को चाय की तरह उबालें।
- इसे थोड़ी देर उबालकर छान लें।
- इस चाय को दिन में एक या दो बार पियें।
- गोखरू की चाय में आप अदरक, शहद, नींबू, तुलसी के पत्ते, और दालचीनी भी मिला सकते हैं,ये सभी सामग्री चाय के स्वाद और औषधीय गुणों को बढ़ाती हैं।
गोखरू के तेल का प्रयोग:
- गोखरू की जड़ें और साथ ही नारियल तेल, जैतून का तेल या बादाम का तेल में से जो भी आपको पसंद हो, उसे चुनें
- जड़ों को अच्छी तरह से सुखा लें और फिर उन्हें छोटा-छोटा कुचल लें।
- एक पैन में चुने हुए तेल को डालें और उसमें कुचली हुई गोखरू की जड़ें मिलाएं।
- इस मिश्रण को धीमी आंच पर कुछ घंटे तक गरम करें, जिससे गोखरू की जड़ों के औषधीय गुण तेल में समा जाएं।
- गरम किए हुए तेल को ठंडा होने दें और फिर उसे छान लें।
- अब आपका गोखरू की जड़ का तेल तैयार है। इस तेल को रात में लगाकर मसाज करें।
गोखरू के नुकसान | Gokhru side effects
गोखरू का उपयोग कई स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में या अनुचित तरीके से इसका सेवन कुछ साइड इफेक्ट्स या नुकसान का कारण बन सकता है:
1) पेट की समस्याएं: गोखरू का अधिक सेवन पेट दर्द, दस्त या अपच जैसी पेट की समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।
2) एलर्जिक प्रतिक्रिया: कुछ लोगों में गोखरू के प्रति एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है, जिसमें खुजली, चकत्ते या सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है।
3) गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं गोखरू का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके प्रभावों की पूरी जानकारी नहीं है।
4) सर्जरी के समय: गोखरू के सेवन से ब्लड शुगर में बदलाव हो सकते हैं, जिससे सर्जरी के दौरान और उसके बाद ब्लड शुगर को संभालना कठिन हो सकता है। इसलिए सर्जरी से दो हफ्ते पहले से ही गोखरू का सेवन नहीं करना चाहिए।
5) प्रोस्टेट की समस्याएं या कैंसर: गोखरू प्रोस्टेट की समस्याएं, जैसे कि बढ़े हुए प्रोस्टेट या प्रोस्टेट कैंसर, को बढ़ा सकता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, गोखरू आपके प्रोस्टेट का आकार बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक चिकित्सक बताते हैं कि गोखरू का सेवन फायदेमंद है क्योंकि यह वात पित्त और कफ तीनों को नियंत्रित करने में सहायता करती है। इसके सेवन के लिए आप चाहे गोखरू चूर्ण खाओ, गोखरू काढ़ा पियो या गोखरू फल को चाय के रूप में उपयोग करो, हर प्रकार से फायदा पहुंचाता है। गोखरू का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अनिवार्य होती है क्योंकि हर किसी की स्वास्थ्य स्थिति अलग होती है इस कारण से सावधानी आवश्यक है।
FAQs
कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने का ये प्राकृतिक उपचार माना जाता है। गोखरू की तासीर गरम होती है इसलिए इसके सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ती है जो सर्दी और शुष्क मौसम के दौरान अधिक प्रभावी और फायदेमंद होता है।
गोखरू का सेवन आमतौर पर कुछ हफ्तों तक किया जाता है, परंतु इसकी अवधि व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है लेकिन डॉक्टर की सलाह ले।
गोक्षुरा और अश्वगंधा अलग-अलग औषधियां हैं। गोक्षुरा मूत्र संबंधी समस्या दूर करने में मदद करता है, जबकि अश्वगंधा तनाव और थकान दूर करता है।
अश्वगंधा, शिलाजीत और गोक्षुरा को एक साथ लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
गोक्षुरा और गोखरू दोनों एक ही पौधे के विभिन्न नाम हैं। इनका उपयोग और गुण समान होते हैं।
गोखरू की कीमत इसके ब्रांड, गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करती है। बाजार या ऑनलाइन स्टोर्स पर इसकी कीमत विभिन्न होती है।
गोखरू के चूर्ण को तैयार करने के लिए, 50 ग्राम त्रिफला, 50 ग्राम गोखरू, और 50 ग्राम मुलेठी को मिक्सर में डालकर इसे अच्छी तरह से पीस लें ताकि एक बारीक पाउडर बन जाए।
गोखरू का पौधा भारत के विभिन्न हिस्सों में मिलता है, खासकर शुष्क और रेतीले इलाकों में। इसे नर्सरी या आयुर्वेदिक स्टोर्स से खरीदा जा सकता है।
गोखरू का दूसरा नाम \”गोक्षुरा\” है। अंग्रेजी में इसे \”Gokshura\” या \”Tribulus Terrestris\” कहते हैं।