जानिए, गिलोय का सेवन किन लोगों को नहीं करना चाहिए ?

Giloy

आयुर्वेद की प्राचीन भारतीय पद्धति में गिलोय, जिसे ‘अमृत’ के रूप में जाना जाता है, अनेक स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रयोग की जाती है। लेकिन क्या इसके सेवन का अर्थ सदैव शरीर को लाभ ही होता है, या इसके भी गिलोय के दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

आखिर गिलोय कौन नहीं ले सकता और इसकी अत्यधिक मात्रा सेवन करने से गिलोय से क्या नुकसान हो सकता है? इस लेख में हम आपको गिलोय के परे के उन पहलुओं से परिचित कराएँगे जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।

गिलोय क्या है | Giloy in hindi

गिलोय, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘Tinospora Cordifolia’ के नाम से जाना जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

गिलोय एक लता है जिसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं और यह भारत में प्राचीन समय से विभिन्न रोगों की चिकित्सा में प्रयोग होती आ रही है। गिलोय के लाभ अनेक हैं, जिनमें प्रमुख हैं इसका इम्युनिटी बूस्टर के रूप में कार्य करना। इसके अलावा, ज्वर, डेंगू, और मलेरिया जैसे बुखार को कम करने में भी इसकी अहम भूमिका होती है।

आयुर्वेद में अमृता के नाम से प्रसिद्ध गिलोय हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक है। यह पौधे की जड़ें, तना, और पत्तियां सभी चिकित्सकीय दृष्टिकोण से लाभप्रद हैं।

गिलोय में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण शरीर में सूजन को काबू में रखने में सक्षम होते हैं, जिससे आर्थ्राइटिस और अन्य सूजन-संबंधी बिमारियों में राहत मिलती है।

इसी तरह, गिलोय के स्वास्थ्य लाभ में इसका एंटी-पायरेटिक गुण भी शामिल है जो बुखार और ज्वर से लड़ने में कारगर सिद्ध हुआ है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट घटक शरीर को मुक्त कणों से बचाकर कोशिकाओं की रक्षा करते हैं और उम्र बढ़ने के प्रभावों को मंद करने में सहायक होते हैं।

इम्यूनोमोड्युलेटरी गुणों की बदौलत गिलोय प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है, जिससे रोगों से लड़ने की हमारे शरीर की क्षमता बढ़ती है।

गिलोय का इस्तेमाल तरह-तरह के संक्रमण, खासकर वायरस से होने वाले संक्रमणों के इलाज में बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इसके बहुत सारे चिकित्सीय गुण हैं। आयुर्वेद में गिलोय को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह न सिर्फ सेहत को अच्छा रखता है बल्कि बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाता है। इसलिए, कोरोना संक्रमण के दौरान गिलोय काफी प्रसिद्ध हो गया।

गिलोय का सेवन कैसे किया जाता है | How to use giloy

गिलोय आयुर्वेद में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है जिसे लोग अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करते हैं। गिलोय के ताजे पत्तों को पीसकर गिलोय जूस  निकाल सकते हैं, गिलोय पाउडर बना सकते हैं, काढ़े का सेवन कर सकते हैं या फिर गिलोय टैबलेट के रूप में भी ले सकते हैं। 

गिलोय को सीधे इसकी ताजा डंडियों से रस निकालकर या पानी में मिलाकर पिया जा सकता है। गिलोय के पाउडर को भी दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर खा सकते हैं। इसकी बेल या पत्तियों को उबालकर बनाए गए काढ़े को पीने से भी बहुत फायदा होता है, खासकर बुखार में। और जो लोग सटीक मात्रा चाहते हैं, उनके लिए गिलोय कैप्सूल भी हैं।

लेकिन गिलोय का उपयोग करते समय सही मात्रा का पता होना चाहिए, इसलिए इसे लेने से पहले अच्छे से सलाह लेनी चाहिए।

गिलोय के नुकसान | Giloy side effects

Giloy

गिलोय के औषधीय गुण आयुर्वेद में प्रसिद्ध है,लेकिन फिर भी इसका सेवन कुछ लोगों को नहीं करना चाहिए । 

1) पेट की समस्याएं: अधिक गिलोयके सेवन से कुछ लोगों में पेट में असहजता हो सकती है, जैसे कि दर्द, दस्त या कब्ज। यह इसलिए होता है क्योंकि गिलोय आंतरिक रूप से शरीर की सफाई करता है, जिससे शुरुआत में त्वचा सम्बन्धी विकार हो सकते हैं। अगर आपको इसके सेवन से पेट में दिक्कत हो रही है तो कम मात्रा में इसका सेवन करें या चिकित्सक से सलाह लें। 

2) ब्लड शुगर का गिरना: ज्यादा मात्रा में गिलोय ब्लड शुगर लेवल को कम करने में प्रभावी है, इसलिए मधुमेह के रोगी जो पहले से ही ब्लड शुगर कम करने वाली दवाइयाँ ले रहे हैं, उनमें गिलोय का सेवन ब्लड शुगर को बहुत कम कर सकता है, जो कि खतरनाक हो सकता है। ऐसे में गिलोय का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। 

3) एलर्जिक रिएक्शन: कुछ लोगों में गिलोय के प्रति एलर्जी हो सकती है, जिससे खुजली, चकत्ते या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। यदि आपको गिलोय का सेवन करने के बाद इस प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया होती है, तो तुरंत इसका सेवन बंद कर दें और चिकित्सकीय मदद लें। 

4) ऑटोइम्यून बीमारियां: गिलोय इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है, इसलिए जिन लोगों को ऑटोइम्यून बीमारियाँ हैं, जैसे कि रुमेटॉयड आर्थराइटिस या ल्यूपस, उनमें यह लक्षणों को बढ़ा सकता है। इस तरह के मामलों में, गिलोय का सेवन बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं करना चाहिए। 

5) गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन विशेष सावधानी के साथ करना चाहिए। चूंकि इसके प्रभावों के बारे में पर्याप्त शोध नहीं है, इसलिए इस दौरान गिलोय का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना बेहतर होता है। 

अतः, ये महत्वपूर्ण है कि गिलोय का सेवन करने से पहले व्यक्तिगत स्वास्थ्य और शारीरिक स्थितियों का ध्यान रखा जाए और यदि किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव महसूस हो तो तुरंत इसका सेवन बंद कर दें और चिकित्सकीय सलाह लें। 

गिलोय किसे नहीं खाना चाहिए?

आयुर्वेद में गिलोय को ‘अमृता’ कहा जाता है, जिसका मतलब होता है जो अमरता देता है। फिर भी, कुछ खास हालातों में और कुछ लोगों के लिए इसका सेवन सही नहीं होता। गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं गिलोय न लें क्योंकि हार्मोनल बदलावों के कारण इसका असर अलग हो सकता है। इसके साथ ही, जो लोग ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे कि रूमेटाइड अर्थराइटिस, ल्युपस या मल्टीपल स्क्लेरोसिस से पीड़ित हैं, उन्हें भी गिलोय से बचना चाहिए क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को और सक्रिय कर सकता है, जिससे उनकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है। 

किसी भी स्वास्थ्य सप्लीमेंट को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है। गिलोय से जुड़े उत्पादों के लेबल पर दी गई जानकारी जैसे कि कितनी मात्रा में लेना है, कितने समय तक लेना है, और क्या कोई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, इसे ध्यान से पढ़ लेना चाहिए। यह जानकारी आपको गिलोय का सही और सुरक्षित उपयोग करने में मदद करेगी।

गिलोय कौन नहीं ले सकता? – विशेष चेतावनी

यदि आप जिगर की समस्या से पीड़ित हैं या किडनी के विकार से गुजर रहे हैं, तो गिलोय का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। गिलोय का प्रयोग आपके शरीर पर अप्रत्याशित प्रभाव डाल सकता है और विशेष स्थितियाँ और गिलोय के बीच अनुचित प्रतिक्रिया हो सकती है। किडनी और जिगर से संबंधित रोगियों के लिए यह जड़ी-बूटी नुकसानदेह सिद्ध हो सकती है क्योंकि ये अंग हमारे मेटाबोलिज्म और दवा के बाहर निकालने की प्रक्रिया का मुख्य केंद्र होते हैं।

इसी प्रकार, जो लोग रक्तचाप से संबंधित व्याधियों से जूझ रहे हैं, उन्हें भी गिलोय सेवन से बचना चाहिए। गिलोय ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकता है, जिससे रक्‍तचाप में असामान्य परिवर्तन होने की संभावना बन जाती है। इसी लिए, गिलोय सेवन से बचना आवश्यक है जब तक कि आपके चिकित्सक ने इसे सुरक्षित न बताया हो। इन स्थितियों में लापरवाही बरतने से गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

अतः, विशेष परिस्थितियों का मूल्यांकन करते समय और आयुर्वेदिक उपचारों का चुनाव करते समय सतर्कता और सही मार्गदर्शन अनिवार्य है। स्वास्थ्य हित में, गिलोय का प्रयोग करने से पूर्व हमेशा एक अनुभवी चिकित्सक की समुचित सलाह लें।

गिलोय और मधुमेह – जोखिम और सावधानियाँ

मधुमेह, जिसे सामान्यत: डायबिटीज के नाम से जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में शुगर का स्तर अनियंत्रित रहता है। गिलोय और ब्लड शुगर के मध्य संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गिलोय के सेवन से ब्लड शुगर पर प्रभाव पड़ सकता है। मधुमेह रोगियों में गिलोय का सेवन उनकी मौजूदा दवाइयों के साथ प्रतिक्रिया करवा सकता है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया तक की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

ऐसे में मधुमेह रोगी गिलोय का सेवन करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतना न भूलें:

  • सेवन से पहले चिकित्सक से सलाह लेना जरुरी है।
  • निम्न और अधिक रक्त शुगर स्तरों के लिए निगरानी बनाए रखें।
  • यदि कोई असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत गिलोय का सेवन बंद कर दें और चिकित्सकीय सलाह लें।

इस विषय पर अनुसंधान जारी है, और अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि मधुमेह रोगी केवल चिकित्सक की निर्देशानुसार ही गिलोय का सेवन करें। खुद से दवाओं का समिश्रण या खुराक निर्धारित न करें, यह आपकी स्वास्थ्य स्थिति की जटिलता को बढ़ा सकता है।

गिलोय कब नहीं खाना चाहिए?

गिलोय, जो आयुर्वेद में एक गुणकारी जड़ी-बूटी के रूप में जानी जाती है, उसके सेवन के कुछ विशिष्ट नियम और चेतावनी हैं जिनका पालन करना अति आवश्यक है। गिलोय से बचाव के लिए कुछ स्थितियाँ हैं जहाँ इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए। जैसे कि यदि किसी व्यक्ति को हाल ही में कोई शल्य चिकित्सा हुई हो, तो गिलोय का सेवन न करें क्योंकि यह चिकित्सा प्रक्रिया से उबरने में बाधा पहुंचा सकता है। इसी प्रकार, यह भी सुझाव दिया जाता है कि जिन व्यक्तियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में स्वतःस्फूर्त वृद्धि और नियंत्रण आवश्यक हो, वे भी गिलोय सेवन से बचें क्योंकि इससे उनकी स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

गम्भीर स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि तीव्र ज्वर या संक्रमण के दौरान भी गिलोय के सेवन से परहेज से करना चाहिए। इस दौरान शरीर पहले ही बीमारी से लड़ रहा होता है और गिलोय के प्रभाव से उपचार की प्रक्रिया में असामान्य हस्तक्षेप हो सकता है। अतः, इस तरह के समय में विशेषज्ञों का सुझाव है कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार के हर्बल सप्लीमेंट्स का सेवन न करें, और यदि करें भी तो स्वयं के शरीरिक लक्षणों और प्रतिक्रिया के प्रति सचेत रहें।

निष्कर्ष

गिलोय बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन साथ ही, इसे कैसे खाना है और सावधानियां क्या रखनी हैं, इस पर भी ध्यान देना जरूरी है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए गिलोय को ठीक से और सोच-समझकर खाना चाहिए, और इसके नुकसान से बचने के लिए इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में भी पता होना चाहिए।

आखिर में, ध्यान रखें कि हर दवाई की तरह, गिलोय को भी सावधानी से खाना चाहिए। हर किसी की अपनी अलग शारीरिक स्थिति और स्वास्थ्य होता है, और गिलोय का असर हर किसी पर अलग हो सकता है। इसलिए, अपनी स्वास्थ्य स्थिति के हिसाब से ही गिलोय का सेवन करना सबसे अच्छा रहता है।

FAQs

गिलोय कौन कौन सी बीमारी में काम करती है?

गिलोय के फायदे कई रोगो में है (giloy ke fayde ) जैसे-बुखार, डेंगू, मलेरिया, जुकाम, पाचन संबंधी समस्याएं, त्वचा के रोग और गिलोय इम्युनिटी भी बढ़ाता है। 

गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) क्या हैं?

रोजाना गिलोय खाने या गिलोय के जूस पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, बुखार कम होता है, डायजेशन बेहतर होता है, और त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

गिलोय का सेवन कब और कैसे करना चाहिए?

गिलोय का सेवन सुबह खाली पेट या भोजन के बाद किया जा सकता है। इसे जूस, पाउडर, काढ़े या कैप्सूल के रूप में ले सकते हैं। 

क्या गिलोय किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है?

अधिकांश मामलों में गिलोय किडनी के लिए सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन अधिक मात्रा में या लंबे समय तक इसका सेवन किडनी पर दबाव डाल सकता है।

क्या गिलोय लिवर को नुकसान पहुंचाता है?

सामान्यतः गिलोय लिवर के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन करने से लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 

खाली पेट गिलोय पीने से क्या होता है?

खाली पेट गिलोय पीने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है और पाचन सुधरता है, लेकिन कुछ लोगों में यह पेट दर्द या अपच का कारण भी बन सकता है। 

गिलोय का सेवन कितने दिन करना चाहिए?

गिलोय का सेवन आमतौर पर 1 से 3 महीने तक किया जा सकता है। हालांकि, इसकी अवधि व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करती है। 

गिलोय लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

गिलोय का सेवन सुबह खाली पेट या भोजन के बाद करना सबसे अच्छा होता है। सुबह का समय इसे लेने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। 

गिलोय का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

गिलोय का सेवन रस, चूर्ण, काढ़ा या कैप्सूल के रूप में करना सबसे अच्छा होता है। इसे उबालकर काढ़ा बनाना और फिर उसे पीना भी एक लोकप्रिय और प्रभावी तरीका है।

क्या गिलोय गर्मी करती है?

गिलोय आमतौर पर शरीर में गर्मी नहीं बढ़ाती है। यह त्रिदोष (वात, पित्त, और कफ) को संतुलित करने में सहायक होती है। हालांकि, व्यक्ति के शारीरिक प्रकृति के आधार पर इसके प्रभाव भिन्न हो सकते हैं।

नीम गिलोय को कैसे पिए?

नीम और गिलोय का रस काफी प्रभावशाली माना जाता है और इसके सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। गिलोय की पत्तियों और नीम के पत्तों का उपयोग करके आप घर पर ही गिलोय और नीम का रस तैयार कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए, दोनों की ताजा पत्तियों को पीसकर इसका रस निकाल लें। आमतौर पर, तीन चम्मच गिलोय और नीम जूस को पानी के साथ मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीना चाहिए। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अधिक सेवन शरीर में दिक्कतें पैदा कर सकता है। इसलिए, इसके सेवन की मात्रा को सीमित रखें और अगर आप किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति से गुजर रहे हों तो इसे पीने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

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