नाभि में सरसों का तेल लगाने की विधि और फायदे

आपकी रसोई में रखा सरसों का तेल, जो आमतौर पर खाने को स्वादिष्ट बनाने के काम आता है, वही तेल आपके स्वास्थ्य के लिए भी अद्भुत लाभ ला सकता है। यह जितना सामान्य प्रतीत होता है, उसके फायदे उतने ही विशेष हैं। नाभि में सरसों के तेल की कुछ बूँदें डालने की इस सरल प्रक्रिया में छिपा है सेहत और सुंदरता का राज। आइए,जानें इसका प्रयोग और कमाल के फायदे।

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नाभि में तेल लगाने से क्या होता है

नाभि मानव शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। इसे आयुर्वेद में निदान (उपचार) केंद्र तथा आम बोलचाल में \”बेली बटन\”  कहते हैं।

नाभि में तेल लगाना आयुर्वेदिक और प्राचीन तकनीक है, जिसे \”नाभि चिकित्सा\” या \”नाभि मर्म\” भी कहा जाता है। इस चिकित्सा में नाभि के आसपास विशेष ध्यान दिया जाता है और तेल का उपयोग किया जाता है। जिससे शरीर की ऊर्जा प्रवाहित होती है और खून का संचार बढ़ता है जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। 

यह चिकित्सा आयुर्वेदिक वैद्यों या नाभि चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा की जाती है, हालांकि आप इसे खुद भी कर सकते हैं लेकिन, इसका प्रयोग करते समय सही विधि और आवश्यक सावधानियों का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है।

सरसों तेल | Mustard oil

सरसों का तेल, जिसे अंग्रेजी में \’Mustard Oil\’ कहा जाता है, तासीर में गरम और स्वाद में कड़वा होता है। यह तेल सरसों के बीजों से बनाया जाता है और हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी हो सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में।

सरसों के तेल की पोषक मान की चार्ट 

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
कैलोरी884
प्रोटीन0 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट0 ग्राम
वसा100 ग्राम
विटामिन ई19.3 मिलीग्राम
ओमेगा-3 फैटी एसिड8 ग्राम
लैनोलिक एसिड11 ग्राम

नाभि में सरसों का तेल लगाने के फायदे

नाभि में सरसों का तेल लगाने से सेहत और सुंदरता, दोनों को लाभ मिलता है।

1) हृदय के लिए 

नाभि में सरसों के तेल का उपयोग हृदय के लिए विशेष रूप से लाभदायक होता है। यह तेल न केवल खून में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है, बल्कि रक्त प्रवाह (blood circulation) में भी सुधार लाता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है। सरसों के तेल में मौजूद ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स और विटामिन E की प्रचुरता के कारण यह एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट का काम करता है। इसके नियमित उपयोग से हृदय रोगों के जोखिम में कमी आती है ।

2) पीरियड्स में आराम 

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में होने वाले दर्द और असुविधा के लिए सरसों का तेल एक पुराना और असरदार उपचार है। जब इस तेल को नाभि पर लगाया जाता है, तो इसके पोषक तत्व त्वचा के जरिए शरीर के भीतरी हिस्सों तक पहुंचते हैं। मैंने खुद यह आजमाया है  सरसों के तेल को गर्म करके नाभि  और उसके आसपास लगाकर हल्के हाथों से मालिश करने से मासिक धर्म से जुड़े दर्द और क्रैम्प्स में काफी राहत मिलती है। 

इसके अलावा, सरसों के तेल में मौजूद विटामिन E और ओमेगा फैटी एसिड्स मासिक चक्र के दौरान होने वाले मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन को कम कर सकता है और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थकान और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 3)  आर्थराइटिस में लाभ 

सरसों के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आर्थराइटिस से संबंधित सूजन और दर्द में आराम पहुँचा सकते हैं। नाभि में इस तेल को लगाने से ये गुण शरीर में अवशोषित (absorbed) होकर जोड़ों तक पहुँचते हैं, जिससे आर्थराइटिस के दर्द में राहत मिलती है। इससे जोड़ों की गतिशीलता में सुधार होता है और चलने-फिरने में आसानी होती है। इसलिए, आर्थराइटिस के रोगियों के लिए नाभि में सरसों के तेल का नियमित उपयोग एक सरल और प्राकृतिक उपचार हो सकता है। 

4 ) पेट के लिए अच्छा

नाभि में सरसों के तेल का उपयोग पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और भूख को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। सरसों के तेल में मौजूद पोटैशियम और अन्य खनिज तत्व पाचन तंत्र को स्वस्थ और अधिक सक्रिय बनाते हैं। जब पाचन प्रणाली सही तरह से काम करती है, तो भोजन का अच्छे से पाचन होता है, जिससे भूख भी बढ़ती है।

नाभि में सरसों का तेल लगाने से उसके गुण शरीर में आसानी से अवशोषित होते हैं, जो पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज, गैस, एसिडिटी, और अपच में राहत प्रदान करते हैं।

5 ) संक्रमण से बचाव

नाभि में सरसों के तेल को लगाने से संक्रमण से सुरक्षा मिलती है क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल खूबियां होती हैं। इससे त्वचा पर होने वाले जीवाणु और फंगस के प्रसार को रोका जा सकता है, जिससे शरीर में सर्दी जुकाम,फंगल इन्फेक्शन और खुजली की संभावना कम होती है। 

नाभि का क्षेत्र ऐसा है जहां तेल जल्दी अवशोषित होता है और शरीर के भीतरी भागों तक पहुंचता है। इसके अलावा, नाभि में तेल लगाने से त्वचा को नमी भी मिलती है, जिससे त्वचा स्वस्थ और मुलायम बनी रहती है। इस प्रकार, सरसों के तेल का नियमित उपयोग न सिर्फ संक्रमण से बचाव करता है बल्कि त्वचा को भी नमी प्रदान करता है।

6 ) प्रजनन क्षमता के लिए 

सरसों के तेल में मौजूद विटामिन और मिनरल्स, जैसे कि जस्ता और सेलेनियम, प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। यह तेल नाभि में लगाने से श्रोणि (pelvis) क्षेत्र में बेहतर रक्त संचार (blood circulation) को बढ़ाता  है, जिससे प्रजनन अंगों को आवश्यक पोषण और ऊर्जा मिलती है।

सरसों के तेल का इस्तेमाल शरीर में हार्मोन का संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है, जो प्रजनन क्षमता के लिए बहुत जरूरी है। हार्मोन का सही संतुलन प्रजनन प्रक्रिया को सहज बनाता है और गर्भधारण को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इसका उपयोग स्त्री और पुरुष दोनों के लिए उपयोगी हो सकता है।

7)  स्वस्थ बालों के लिए 

नाभि पर सरसों का तेल लगाने से बालों की सेहत में फायदा होता है। इस तेल में पाया जाने वाला विटामिन ई बालों के रंग को गहरा करने और उन्हें प्राकृतिक कालापन देने में मदद करता है। विटामिन ई बालों को मजबूती, सुंदरता और चमक भी प्रदान करता है।

नाभि में तेल लगाने से यह तेल शरीर के भीतरी भागों तक पहुंचकर बालों की जड़ों को पोषण देता है, जिससे बालों की ग्रोथ और स्वास्थ्य बेहतर होता है। इस तरह, नाभि में नियमित रूप से सरसों के तेल का प्रयोग करने से बाल स्वस्थ और खूबसूरत बनते हैं। यह एक साधारण और नेचुरल तरीका है बालों को झड़ने से रोकने और घना करने का।

नाभि में सरसों का तेल कैसे लगाएं

विधि:(Method)

1) पहले अपनी नाभि को साफ करें और उसे सुखा लें।

2) फिर कुछ सरसों के तेल की बूंदें अपनी नाभि में डालें।

3) 10-15 मिनट बाद तेल को हल्के हाथों से मसाज करें ।

4) और इसे रात भर के लिए छोड़ दें, ताकि बॉडी ऑयल को अच्छी तरह से absorb कर ले। 

नाभि में सरसों का तेल कब लगाएं

नाभि में सरसों का तेल लगाने का सबसे अच्छा समय रात को सोने से पहले होता है। इस समय तेल को शरीर द्वारा अधिकतम अवशोषित किया जा सकता है, क्योंकि रात में शरीर की गतिविधियाँ कम होती हैं और शरीर आराम की स्थिति में होता है। रात भर तेल लगा रहने से इसके गुण अधिक अच्छी तरह से शरीर में पहुँचते हैं और अधिकतम लाभ प्राप्त होता है। नाभि में तेल लगाने के बाद, इसे कुछ समय के लिए अवशोषित (absorbed) होने दें और फिर सो जाएँ।

नाभि में सरसों का तेल लगाने के नुकसान

1) कुछ लोगों को सरसों के तेल से एलर्जी हो सकती है। इसके लिए, पहले इसे छोटी मात्रा में अपनी त्वचा पर पैच टेस्ट करना उचित होता है। इसे आमतौर पर कोहनी के अंदरूनी हिस्से या कलाई पर लगाकर देखें।

2) गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को नाभि में सरसों का तेल लगाने या किसी भी नए उपचार को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

3) नाभि में तेल लगाते समय या मालिश करते वक्त ध्यान रखें कि बहुत जोर से न रगड़ें। ज्यादा तेजी से या जोर से रगड़ने से त्वचा में जलन या लालिमा हो सकती है। मालिश को हमेशा हल्के हाथों से और सौम्य तरीके से करना चाहिए, ताकि त्वचा को आराम मिले और उस पर किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव न हो।

4) जब त्वचा पर बहुत ज्यादा तेल लगाया जाता है, तो इससे त्वचा ज्यादा चिकनी हो जाती है। इस चिकनाई के कारण धूल और मैल आसानी से चिपक सकते हैं,जिस से त्वचा के छोटे छिद्र (पोर्स) बंद हो जाते है।

निष्कर्ष

नाभि में सरसों के तेल का उपयोग एक प्राचीन और प्राकृतिक तरीका है, जो शरीर की देखभाल के लिए इस्तेमाल होता है। इसे कोई भी व्यक्ति आजमा सकता है, क्योंकि आमतौर पर यह सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, इसका उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। खासतौर पर, सरसों के तेल की गुणवत्ता की जांच करें और सुनिश्चित करें कि तेल शुद्ध हो। नकली या मिलावटी तेल से नुकसान हो सकता है।

FAQ

सबसे अच्छा सरसों का तेल कौन सा होता है?

सबसे अच्छा सरसों का तेल वह होता है जो शुद्ध और कोल्ड-प्रेस्ड हो। ऐसा तेल प्राकृतिक तरीके से निकाला जाता है और इसमें केमिकल्स का उपयोग नहीं होता।

रोजाना नाभि में तेल लगाने से क्या होता है?

रोजाना नाभि में सरसों का तेल लगाने से त्वचा को नमी मिल सकती है, पाचन में सुधार हो सकता है और यह संक्रमण से बचाव में भी मदद कर सकता है।

सरसों के तेल का दूसरा नाम क्या है?

अंग्रेजी में मस्टर्ड, मराठी में मोहरीच, मलयालम में कदुगेना और तेलुगु में अवन्यून बोला जाता है। वहीं, इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका जुनसा है।

सरसों का तेल कितने दिनों में खराब हो जाता है?

सही तरीके से संग्रहित किए गए सरसों के तेल की शेल्फ लाइफ लगभग 6 से 12 महीने होती है। हालांकि, इसकी गुणवत्ता और ताजगी बरकरार रखने के लिए इसे ठंडी और शुष्क जगह पर रखना चाहिए।

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