ऑयल पुलिंग के फायदे | Benefits of oil pulling

Oil Pulling

अनुष्का शर्मा से लेकर करीना कपूर तक ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर अपने ऑयल पुलिंग के वीडियोस डाले हैं, तो आखिर यह ऑयल पुलिंग क्या है और यह आजकल क्यों इतना चर्चा का विषय बना हुआ है? दरअसल, यह भले ही अभी ट्रेंड हो रहा है पर आयुर्वेद में यह एक दैनिक की जाने वाली सामान्य आदत है। अगर आप भी इसके बारे में और जानना चाहते हैं तो पूरी जानकारी पढ़िए। 

ऑयल पुलिंग, जिसे “गंडूष” या “कवल” भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें मुंह में तेल (the oil) को खींचना और घुमाना शामिल है। यह प्रक्रिया न केवल मुंह की सफाई में मदद करती है, बल्कि यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी लाभ पहुंचाती है। सेलिब्रिटीज द्वारा इसका प्रचार करने के बाद, ऑयल पुलिंग ने वैश्विक पहचान प्राप्त की है और अब यह आधुनिक दैनिक स्वास्थ्य और सौंदर्य दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया है। आइए, इस लेख में हम ऑयल पुलिंग के 10 बड़े फायदों को जानें, जिससे आप भी इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर स्वास्थ्य लाभ उठा सकें।

ऑयल पुलिंग क्या है? | What is oil pulling?

ऑयल पुलिंग, जिसे तेल खींचने की प्रक्रिया भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार विधि है जिसमें मुंह के अंदर ( in your mouth) तेल को कुछ समय के लिए घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया में, आमतौर पर नारियल तेल (coconut oil), तिल का तेल ( sesame oil) या सूरजमुखी का तेल (sun flower oil) का उपयोग किया जाता है।

व्यक्ति तेल को मुंह में डालकर उसे 15 से 20 मिनट तक चारों ओर घुमाता है, जिसके बाद उसे थूक दिया जाता है। इस प्रक्रिया को नियमित रूप से करने से मुंह की स्वच्छता में सुधार होता है, दांतों और मसूड़ों की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर होती है, और कई अन्य स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। आयुर्वेद में, इसे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। 

ऑयल पुलिंग के 10 बड़े फायदे | Benefits of Oil Pulling and how to do it in Hindi

ऑयल पुलिंग से मुंह के स्वास्थ्य के साथ-साथ अन्य कई फायदे (health benefits) भी होते हैं:

1) मुँह के बैक्टीरिया को कम करता है:

Teeth

ऑयल पुलिंग, जिसमें नारियल तेल या तिल का तेल जैसे तेलों का उपयोग किया जाता है, मुंह के विभिन्न प्रकार (types of bacteria) के बैक्टीरिया को खींचने और उन्हें बाँधने की अद्भुत क्षमता रखती है। इस प्रक्रिया में, तेल को मुँह में घुमाया जाता है, जिससे बैक्टीरिया  प्लाक, और अन्य माइक्रोब्स तेल में समाहित कर लेता है, जिसे बाद में थूक दिया जाता है। इससे मुंह के बैक्टीरिया कम होते हैं, जिससे ओरल हाइजीन में सुधार होता है। 

2) मसूड़ों की सूजन और रोगों को रोकता है:

Gums

ऑयल पुलिंग के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मसूड़ों की सूजन को कम करते हैं और गम डिजीज की संभावना को घटाते हैं। नियमित रूप से ऑयल पुलिंग करने से मसूड़ों का स्वास्थ्य बेहतर होता है, जिससे पीरियडोंटल रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है। 

3) सांसों की दुर्गंध को दूर करता है:

Teeth

ऑयल पुलिंग मुंह के बैक्टीरिया जो दुर्गंध का कारण बनते हैं, को नियंत्रित करती है। यह प्रक्रिया मुँह के पीएच स्तर को संतुलित करती है और बैक्टीरियल विकास को रोकती है, जिससे सांसों की ताजगी में सुधार होता है। 

4) त्वचा की स्थिति में सुधार लाता है:

Skin

 ऑयल पुलिंग शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का एक प्रभावी तरीका है। जब शरीर से टॉक्सिन्स कम होते हैं, तो यह सीधे त्वचा की स्थिति पर प्रभाव डालता है। त्वचा अधिक स्वस्थ, साफ और चमकदार दिखाई देती है। 

7) सिरदर्द और माइग्रेन में राहत देता है:

Headache RELIEF

ऑयल पुलिंग तनाव और विषाक्त पदार्थों को कम करने में मदद करता है, जो कि सिरदर्द और माइग्रेन के आम कारणों में से हैं। इसके नियमित अभ्यास से तनाव जनित सिरदर्द में कमी आ सकती है। 

8) स्ट्रेस और थकान को कम करता है:

Stress

ऑयल पुलिंग से शरीर में रिलैक्सेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है, जिससे मानसिक तनाव और शारीरिक थकान में कमी आती है। इससे आराम और संतोष की अनुभूति होती है। 

5) पाचन तंत्र को मजबूत करता है:

Digestion

ऑयल पुलिंग के दौरान मुंह में मौजूद सलाइवा ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं, जो पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ाती हैं। यह पाचन तंत्र को सक्रिय करने और पाचन प्रक्रिया को सहज बनाने में मदद करता है। इससे खाना बेहतर तरीके से पचता है और पाचन संबंधी विकारों में कमी आती है। 

9) हॉर्मोनल संतुलन में सहायक होता है:

meditation

विषाक्त पदार्थों के निष्कासन से शरीर के हॉर्मोनल संतुलन में सुधार होता है। जब शरीर से अनावश्यक टॉक्सिन्स निकल जाते हैं, तो हॉर्मोनल गतिविधियां अधिक कुशलतापूर्वक कार्य करती हैं। 

10) शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है:

Toxins

ऑयल पुलिंग की प्रक्रिया शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती है। तेल के माध्यम से मुंह के बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थों को बांधकर बाहर निकालने से शरीर के विषाक्त भार में कमी आती है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।  

3) दांतों को सफेद और चमकदार बनाता है:

Teeth

ऑयल पुलिंग की प्रक्रिया से दांतों पर जमा प्लाक और सतही दाग धीरे-धीरे कम होते हैं, जिससे दांत सफेद और चमकदार दिखाई देते हैं। ये तरीका दांतों और मुँह की सेहत (dental health and oral health) को नेचुरल और सेफ तरीके से बेहतर बनाने में मदद करता है।

ऑयल पुलिंग कैसे करे? | How to do oil pulling

Oil Pulling

ऑयल पुलिंग करने की प्रक्रिया सरल और आसान है। इसे सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें: 

  • तेल का चयन: सबसे पहले, एक शुद्ध और ऑर्गेनिक तेल चुनें। आमतौर पर, नारियल का तेल, तिल का तेल, या सूरजमुखी का तेल इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
  • तेल की मात्रा: लगभग एक बड़ा चमच (10-15 मिलीलीटर) तेल मुंह में लें।
  • तेल खींचना: अब तेल को मुंह में घुमाएँ। तेल को दांतों के बीच में से आगे-पीछे करें और पूरे मुंह में अच्छी तरह फैलाएँ। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें ताकि जबड़े में दर्द न हो।
  • समयावधि: इस प्रक्रिया को कम से कम 15-20 मिनट तक करें। इस समय के दौरान, तेल बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थों को अपने में समाहित कर लेगा।
  • तेल थूकना: ऑयल पुलिंग के बाद, तेल को थूक दें। ध्यान रखें कि तेल को निगलना नहीं है क्योंकि इसमें बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थ समाहित होते हैं। तेल को सिंक में थूकने से बचें क्योंकि यह नाली को बंद कर सकता है।
  • मुंह धोना: ऑयल पुलिंग के बाद, गर्म पानी से मुंह को कुल्ला करें। आप चाहें तो हल्के नमक पानी से भी मुंह को साफ कर सकते हैं।
  • दांत ब्रश करना: अंत में, सामान्य तरीके से दांत ब्रश करें। 

खाली पेट पर करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। नियमित अभ्यास से आपको इसके स्वास्थ्य लाभ अधिकतम रूप से प्राप्त होंगे।

ऑयल पुलिंग कब करना चाहिए | when should oil pulling be done

ऑयल पुलिंग सबसे अच्छा समय सुबह होता है, खासकर खाली पेट पर। सुबह उठने के बाद, दिन की शुरुआत में ऑयल पुलिंग करने से, रात भर मुंह में जमा होने वाले बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थों को सफाई करने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया को सुबह के समय करने से न केवल दिन भर के लिए मुंह की स्वच्छता सुनिश्चित होती है, बल्कि यह पाचन प्रक्रिया को भी सक्रिय कर सकता है।

अगर किसी कारणवश सुबह ऑयल पुलिंग करना संभव न हो, तो आप इसे रात को सोने से पहले भी कर सकते हैं। इससे मुंह की सफाई होती है और रात भर मुंह में बैक्टीरिया के विकास की संभावना कम होती है।

हालांकि, नियमितता इस प्रक्रिया की कुंजी है। प्रतिदिन समान समय पर ऑयल पुलिंग करने से इसके स्वास्थ्य लाभों को अधिकतम किया जा सकता है। इसलिए, अपनी दिनचर्या में एक निश्चित समय निर्धारित करें और उसे नियमित रूप से पालन करें। 

ऑयल पुलिंग के नुकसान | Side effects of oil pulling

स्विशिंग ऑयल, (swishing oil) की प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन कुछ लोगों को इसके नुकसान या साइड इफेक्ट्स का अनुभव हो सकता है:

  • मुँह में असुविधा: लंबे समय तक तेल को मुँह में रखने से कुछ लोगों को मुँह में असुविधा या जलन महसूस हो सकती है।
  • एलर्जी: जिन लोगों को नारियल तेल या तिल के तेल जैसे तेलों से एलर्जी है, उन्हें ऑयल पुलिंग से बचना चाहिए।
  • अस्थायी लिपिड निमोनिया: बहुत ही दुर्लभ मामलों में, तेल को गलती से साँस की नली में खींच लेने से अस्थायी लिपिड निमोनिया हो सकता है।

निष्कर्ष

ऑयल पुलिंग एक प्राचीन आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जो परंपरागत तौर ( of traditional) पर उपयोग में लाई जाती है यह मौखिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। इसके नियमित अभ्यास से दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन और सांसों की दुर्गंध जैसी समस्याओं में कमी आती है।

ऑयल पुलिंग जब सही तरीके और नियमित रूप से की जाती है, तो यह मौखिक स्वच्छता में सुधार लाने में प्रभावी पाई गई है। हालांकि, इसे दंत चिकित्सा के पारंपरिक उपचारों का विकल्प नहीं माना जाता है। 

नारियल का तेल ऑयल पुलिंग के लिए सबसे अच्छा तेल (coconut oil is the best oil for oil pulling )माना जाता है।

FAQs 

ऑयल पुलिंग करते समय क्या सावधानी बरतना चाहिए? 

ऑयल पुलिंग करते समय, तेल को निगलने से बचें, अधिक देर तक न करें, और यदि एलर्जी हो तो उपयोग न करें। असुविधा होने पर तुरंत रुकें और डॉक्टर से सलाह लें।

क्या सरसों के तेल से ऑयल पुलिंग (mustard oil for oil pulling) कर सकते हैं?

हां, सरसों के तेल से ऑयल पुलिंग की जा सकती है। सरसों का तेल अपने एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए जाना जाता है, जो मुँह के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। 

तेल खींचने के बाद क्या करना चाहिए?

तेल खींचने के बाद, तेल को थूक दें और फिर गर्म पानी से मुँह को कुल्ला करें। इसके बाद नियमित ब्रशिंग और फ्लॉसिंग करें। 

सुबह या शाम को ऑयल पुलिंग करना बेहतर है?

सुबह खाली पेट पर ऑयल पुलिंग करना सबसे बेहतर होता है। यह दिन की शुरुआत में विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। 

तेल खींचने के लिए सबसे अच्छा तेल कौन सा है?

ऑयल पुलिंग करते समय नारियल के तेल का इस्तेमाल सबसे लोकप्रिय है क्योंकि इसमें लौरिक एसिड होता है जिसमें शक्तिशाली एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। हालांकि, तिल का तेल और सूरजमुखी का तेल भी प्रभावी विकल्प हैं।

पुलिंग ऑयल कैसे काम करता है?

ऑयल पुलिंग के दौरान, तेल मुँह में मौजूद बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थों को आकर्षित और समाहित कर लेता है। जब आप तेल को थूकते हैं, तो ये हानिकारक पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं, जिससे आपकी ओरल हेल्थ (your oral health) में सुधार होता है। 

क्या ऑयल पुलिंग दांतों की सड़न को रोकता है?

हां, ऑयल पुलिंग में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुँह में बैक्टीरिया के विकास को कम करते हैं, जिससे दांतों की सड़न और प्लाक निर्माण में कमी आती है। यह दांतों के एनेमल को मजबूत करने और दांतों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने में मदद करता है।

ओरल हेल्थ (oral health) के लिए ऑयल पुलिंग क्या करती है?

ऑयल पुलिंग मुँह से बैक्टीरिया और टॉक्सिन्स हटाकर मौखिक स्वास्थ्य में सुधार करती है, दांतों की सफेदी, मसूड़ों की मजबूती, और सांसों की ताजगी में योगदान देती है।

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