नीम गिलोय तुलसी के फायदे!

नीम, गिलोय, और तुलसी भारतीय आयुर्वेद के तीन महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियाँ हैं, जिनका उपयोग सदियों से विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में किया जा रहा है।  ये तीनों ही स्वास्थ्य के लिए अनेक फायदे प्रदान करते हैं। आइये जाने नीम, गिलोय, और तुलसी के जूस के फायदे- giloy neem tulsi juice ke fayde 

नीम | Neem

Neem

नीम एक प्रकार का पेड़ है जो मुख्यतः भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में पाया जाता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में Azadirachta indica कहा जाता है। नीम का पेड़ लंबा और घना होता है, और इसकी पत्तियां लम्बी और पतली होती हैं। इस पेड़ की पत्तियां, फूल, बीज, छाल, और जड़ें सभी विभिन्न तरह के आयुर्वेदिक और घरेलू उपचारों में उपयोग की जाती हैं।

नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटिवायरल, एंटीफंगल, एंटिसेप्टिक और एंटी-डायबेटिक गुण होते हैं। इसका उपयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता रहा है। नीम की पत्तियों का काढ़ा पीने से पेट के कीड़े मरते हैं और यह पाचन में भी सहायक होता है। नीम के तेल का उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे कि दाद, खाज, कील-मुंहासे और एक्जिमा के उपचार में किया जाता है। नीम के दातुन का उपयोग मुंह की सफाई और दांतों के रोगों की रोकथाम में किया जाता है। 

गिलोय | Giloy

Giloy

गिलोय एक पौधा है जो अपने औषधीय गुणों के लिए भारत में बहुत प्रसिद्ध है। इसे वैज्ञानिक भाषा में Tinospora Cordifolia के नाम से जाना जाता है। यह एक लता के रूप में उगता है और इसका उपयोग आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। गिलोय को ‘अमृता’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘अमरता की बेल’, इसके असाधारण स्वास्थ्य लाभों के कारण।

गिलोय में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-पायरेटिक (बुखार कम करने वाला), एंटी-वायरल और इम्यूनोमॉड्युलेटरी गुण होते हैं। इसका उपयोग बुखार, डेंगू, मलेरिया, स्किन इंफेक्शन्स, लिवर की समस्याएं, और आयुर्वेदिक चिकित्सा में कई अन्य स्थितियों के उपचार में किया जाता है। गिलोय की ताजा या सूखी बेल को पीसकर रस निकाला जाता है, जिसे पीने से विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

तुलसी | Tulsi | Basil 

Tulsi

तुलसी एक पौधा है जो भारत में बहुत ही सम्मानित और पूज्य माना जाता है। इसके पत्ते और तेल का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। तुलसी को आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी माना जाता है। इसे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे सर्दी-खांसी, ज्वर, हृदय रोग, पेट के रोग आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है।

तुलसी में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीपायरेटिक (बुखार को कम करने वाला) और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, तुलसी का उपयोग पूजा में भी किया जाता है और इसे हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है।

नीम गिलोय तुलसी के फायदे | Giloy Neem Tulsi juice benefits  in hindi 

लेख में हम आपको गिलोय, नीम और तुलसी के जूस को पीने या इन तीनो को मिलाकर खाने से क्या फायदे मिलते है बतायगे आइये विस्तार से जानते है: 

इम्यूनिटी बूस्टर

Immunity

नीम को इसके एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है, जो कि विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।

गिलोय, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती है और वायरल इन्फेक्शंस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।

तुलसी, जिसे होली बेसिल भी कहा जाता है, में भी शक्तिशाली एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, और यह सर्दी, खांसी, फ्लू जैसी बीमारियों से लड़ने में सहायक होती है।

संक्रमण से बचाव:

नीम के पत्ते एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के खिलाफ रक्षा प्रदान करते हैं।

गिलोय की उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री के कारण इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और बुखार तथा अन्य संक्रामक रोगों से लड़ने में सहायक होती है।

तुलसी, जिसे पवित्र तुलसी भी कहा जाता है, इसमें शक्तिशाली एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो विशेष रूप से श्वसन पथ के संक्रमणों से लड़ने में प्रभावी होते हैं।

त्वचा की समस्याओं में लाभकारी

नीम के एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण त्वचा संक्रमण, मुहांसे, और पिंपल्स के इलाज में महत्वपूर्ण रूप से प्रभावी होते हैं। इसके अलावा, नीम त्वचा के रंग को निखारने और त्वचा की स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।

गिलोय, अनेक समस्याओं के लिए रामबाण इलाज माना जाता है। इसका एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन, लालिमा, और अन्य इन्फ्लेमेटरी स्किन कंडीशंस को कम करता है। इसके अतिरिक्त, यह ड्रिंक नेचुरल ब्लड प्यूरीफायर के रूप में काम करता है। इससे शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है। जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है।

तुलसी के पत्तों में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो त्वचा को उम्र बढ़ने के लक्षणों जैसे कि झुर्रियों और फाइन लाइन्स से बचाते हैं। तुलसी मुहांसों के इलाज में भी प्रभावी है और त्वचा की गहराई से सफाई करती है। 

पाचन में सुधार:

Digestion

नीम का उपयोग पारंपरिक रूप से पेट के कीड़ों और अन्य परजीवी संक्रमणों के निवारण में किया जाता है। इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण पाचन तंत्र में सूजन और संक्रमण को कम करते हैं, जिससे पाचन सुधार में मदद मिलती है।

 गिलोय, अपने इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के लिए प्रसिद्ध है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है, जिससे पाचन संबंधी विकारों जैसे कि अपच, गैस, और अन्य पाचन संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है।

 तुलसी में पाचन को बेहतर बनाने वाले एंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं। यह पाचन तंत्र की अनियमितताओं को ठीक करने में मदद करता है और पेट की गैस, ब्लोटिंग, और अपच को कम करता है। इसके अलावा, तुलसी का सेवन करने से पाचन मजबूत और पेट की सूजन को कम करने में मदद मिलती है। 

सांस संबंधी रोगों  के लिए लाभकारी:

नीम, गिलोय, और तुलसी का संयुक्त उपयोग श्वसन प्रणाली के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इन तीनों जड़ी-बूटियों में श्वसन संक्रमण, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य श्वसन विकारों के उपचार में मदद करने के गुण पाए जाते हैं।

नीम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो श्वसन पथ के संक्रमणों को रोकने और उपचारित करने में सहायक होते हैं। यह वायुमार्ग की सूजन को कम करने और खांसी को शांत करने में प्रभावी है।

गिलोय, जिसे इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के लिए जाना जाता है, श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है और इसे विभिन्न श्वसन संक्रमणों से लड़ने में सक्षम बनाता है। यह ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसे श्वसन विकारों में सूजन को कम करने में मदद करता है।

तुलसी जूस, जो अपने एंटी-वायरल और एंटी-माइक्रोबियल गुणों के लिए प्रसिद्ध है,कफ, खांसी, सर्दी जुकाम और फ्लू जैसे श्वसन संक्रमणों के उपचार में बहुत प्रभावी है। यह वायुमार्ग में सूजन को कम करने और श्वसन को सुधारने में सहायक होता है।

डायबिटीज (शुगर कंट्रोल)  में सहायक:

डायबिटीज रोगियों के लिए गिलोय, नीम और तुलसी के जूस का सेवन बहुत लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर में स्पाइक को रोकने और रक्त में शुगर के सामान्य स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। ये तीनों जड़ी-बूटियां अपने-अपने विशिष्ट गुणों के कारण शुगर कंट्रोल  करने और डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में मदद करती हैं।

नीम में निहित फ्लेवोनॉइड्स, ट्राइटरपेनॉइड, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और अन्य यौगिक इसे एक प्रभावी एंटी-डायबिटिक एजेंट बनाते हैं। ये यौगिक रक्त शर्करा को कम करने और इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। 

गिलोय, इसकी हाइपोग्लाइसेमिक (रक्त शर्करा कम करने वाली) क्षमताओं के लिए जानी जाती है। यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने में मदद करती है और डायबिटीज के रोगियों के लिए इसे एक मूल्यवान जड़ी-बूटी बनाती है। 

तुलसी में पाए जाने वाले अनेक यौगिक जैसे कि ईजेनॉल, फ्लेवोनॉइड्स, और अन्य एंटी-ऑक्सीडेंट्स रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं। तुलसी का नियमित सेवन रक्त शर्करा को स्थिर कर सकता है और डायबिटीज से संबंधित जटिलताओं को कम कर सकता है।

तनाव और चिंता में कमी

Stress

नीम, गिलोय, और तुलसी का संयुक्त उपयोग तनाव और चिंता को कम करने में काफी प्रभावी होता है। तुलसी के पत्तों में अडैप्टोजेनिक गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को तनावपूर्ण स्थितियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाते हैं और मानसिक संतुलन को बढ़ावा देते हैं।

 गिलोय और नीम भी शरीर में तनाव हार्मोन्स के स्तर को कम करके चिंता और तनाव को कम करने में सहायक होते हैं। इस प्रकार, अगर आप गिलोय इन तीनों जड़ी-बूटियों का संयुक्त उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। 

जीवनशक्ति में वृद्धि

नीम, गिलोय, और तुलसी हमारे संपूर्ण शरीर के लिए वरदान हैं। सुबह खाली पेट इसका सेवन शारीरिक और मानसिक जीवनशक्ति में वृद्धि करता है। गिलोय, एक शक्तिशाली इम्यूनोमॉड्यूलेटर, शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा को मजबूती प्रदान करता है। वहीं, नीम और तुलसी विभिन्न संक्रमणों से शरीर की सुरक्षा करते हैं। इनके सेवन से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और थकान कम होती है, जिससे सुबह का आरंभ स्वस्थ और सक्रिय बना रहता है।

हृदय स्वास्थ्य में सुधार

नीम, गिलोय, और तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। तुलसी में विशेष रूप से ईजेनॉल पाया जाता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होता है।

नीम और गिलोय भी हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है। रोजाना  गिलोय, नीम और तुलसी जूस का सेवन करने से शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ती है, जो दिल के लिए लाभकारी होती है। इसलिए यदि आप भी हार्ट प्रोब्लेम्स से रहना चाहते है दूर तो इस जूस का सेवन कर सकते हैं।

जीवाणुरोधी गुण

Anti Bacterial

नीम, गिलोय, और तुलसी में प्राकृतिक जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो विभिन्न प्रकार के बैक्टीरियल, वायरल और फंगल संक्रमणों से लड़ने में सहायक होते हैं। नीम और तुलसी विशेष रूप से त्वचा संक्रमणों, मुंह के छालों और अन्य बैक्टीरियल संक्रमणों के उपचार में प्रभावी होते हैं।

 गिलोय इम्यून सिस्टम को मजबूत करके शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। इस प्रकार, इन तीनों जड़ी-बूटियों का संयुक्त उपयोग शरीर को संक्रमणों से बचाने में एक प्रभावी उपाय साबित होता है।

लिवर

सुबह खाली पेट गिलोय का रस पीने से इसके औषधीय गुण लिवर की सफाई में सहायक होते हैं और कार्यक्षमता में सुधार होता है। गिलोय में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण लिवर की क्षति से बचाव करते हैं और स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।

नीम एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जिसका उपयोग लिवर की सुरक्षा और स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जाता है। यह लिवर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है और लिवर के संक्रमणों से लड़ता है। नीम के पत्ते लिवर की स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं, जिससे लिवर संबंधी रोगों का जोखिम कम होता है।

तुलसी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह लिवर के टॉक्सिन्स को साफ करने में सहायक होती है और लिवर की क्षति को कम करती है। तुलसी का नियमित सेवन लिवर की सुरक्षा में मदद करता है और लिवर संबंधी रोगों की संभावना को कम करता है।

सेवन कैसे करे | Uses in hindi

तुलसी, गिलोय, और नीम का जूस सेवन करने का तरीका इस प्रकार है:

  • सामग्री तैयार करें: ताजा तुलसी के पत्ते, गिलोय की डंडी, और नीम के पत्तों को इकट्ठा करें। यदि ताजा सामग्री उपलब्ध नहीं है, तो आप मार्केट से इनके जूस या पाउडर भी खरीद सकते हैं।
  • सफाई: सामग्री को अच्छे से धो लें ताकि मिट्टी और कीटनाशक दूर हो जाएं।
  • पीसना: तुलसी के पत्ते, गिलोय, और नीम के पत्तों को मिक्सी में थोड़े पानी के साथ पीस लें ताकि एक समान जूस तैयार हो।
  • छान लें: जूस को एक महीन छलनी से छान लें ताकि कचरा अलग हो जाए।
  • सेवन: इस जूस को सुबह खाली पेट पिएं। शुरुआत में, आप थोड़ी मात्रा में जूस का सेवन कर सकते हैं और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ा सकते हैं।
  • मात्रा: आमतौर पर, 30-50 मिलीलीटर जूस पर्याप्त होता है। हालांकि, व्यक्तिगत सहनशीलता और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार मात्रा में परिवर्तन किया जा सकता है।
  • सावधानी: किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर या अगर आप किसी विशेष दवा पर हैं, तो इस जूस का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

गिलोय, नीम और तुलसी जूस पीने के नुकसान | Side effects in hindi

तुलसी, गिलोय, और नीम का जूस पीने के ( neem, giloy, tulsi juice ke)  नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर अगर इसे अत्यधिक मात्रा में या बिना आवश्यकता के सेवन किया जाए।

  • गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं  के लिए इस का सेवन सुरक्षित नहीं माना जाता। इससे भ्रूण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • लो ब्लड शुगर: जिन लोगों का ब्लड शुगर पहले से ही कम हो, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह ब्लड शुगर को और भी कम कर सकता है।
  • ऑटोइम्यून रोग: जिन लोगों को ऑटोइम्यून रोग हैं, जैसे कि रुमेटॉयड आर्थराइटिस या ल्यूपस, उन्हें गिलोय का सेवन सावधानी से करना चाहिए क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को और सक्रिय कर सकता है।
  • सर्जरी: ऑपरेशन से पहले और बाद में इनका सेवन रक्तस्राव की समस्या को बढ़ा सकता है, इसलिए सर्जरी से कुछ समय पहले इनका सेवन बंद कर देना चाहिए।
  • एलर्जी: कुछ लोगों को तुलसी, गिलोय या नीम से एलर्जी हो सकती है, जिससे खुजली, रैशेज या अन्य एलर्जिक प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं।

निष्कर्ष

गिलोय, नीम, और तुलसी का जूस प्राचीन आयुर्वेदिक ( ayurvedic) चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और  इन तीनो के फायदे (teeno ke fayde)  के अनेक फायदे हैं। यह जूस न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि जीवनशक्ति में वृद्धि और हृदय स्वास्थ्य में सुधार लाने में भी सहायक है। 

गिलोय, नीम और तुलसी का जूस पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे एलर्जी और वायरल संक्रमण जैसी समस्याओं से बचाव होता है। यह जूस ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, लिवर फंक्शन में सुधार लाने और पाचन को मजबूत करने में भी फायदेमंद होता है। 

आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय, नीम, और तुलसी नैचुरल ब्लड प्यूरीफायर के रूप में काम करते हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसका सेवन सुबह खाली पेट करने से इसके फायदे और भी बढ़ जाते हैं। 

लेकिन किसी भी उपाय को आजमाने से संभावित नुकसान को ध्यान रखना जरूरी है इससे सेहत पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।

FAQs

गिलोय नीम तुलसी का रस कब पीना चाहिए?

गिलोय नीम तुलसी का रस सबसे अधिक लाभकारी सुबह खाली पेट पीने पर होता है। यह शरीर को डिटॉक्सीफाई करने और दिन भर के लिए ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। इसके अलावा, भोजन के बाद इसे पीने से पाचन में भी सहायता मिल सकती है।

क्या गिलोय गर्म होता है?

गिलोय को आयुर्वेद में उष्ण (गर्म) नहीं बल्कि समता प्रदान करने वाला माना जाता है। यह शरीर की अग्नि (पाचन क्षमता) को बढ़ावा देता है लेकिन इसे गर्म नहीं माना जाता। इसका सेवन शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है।

नीम गिलोय को कैसे पिए?

नीम और गिलोय को पीने का एक प्रचलित तरीका है इसका रस निकालना। गिलोय की डंडी को पानी में उबालकर और नीम की पत्तियों को मिलाकर इसका काढ़ा तैयार किया जा सकता है। इस काढ़े को छानकर सुबह खाली पेट पीने से अधिकतम लाभ होता है।

गिलोय में कौन कौन से विटामिन पाए जाते हैं?

गिलोय में विटामिन C, विटामिन A, विटामिन B1, विटामिन B2, और विटामिन B6 पाए जाते हैं। ये विटामिन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ावा देने, त्वचा की स्वास्थ्य में सुधार लाने, और आंखों की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

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