आंखों की रोशनी बढ़ाने के घरेलू उपाय

क्या आपने कभी विचार किया है कि हमारी आंखें, जिनसे हम पूरी दुनिया देख पाते हैं, यदि इनकी रोशनी कम हो जाए तो कैसा महसूस होगा? क्यूकी आज के डिजिटल युग में आँखों का काम बहुत बढ़ गया है इन आंखों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। पर घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हमारे पास हैं दादी-नानी के वे नुस्खे, जो न केवल सरल हैं, बल्कि प्रभावशाली भी हैं। चलिए देखते हैं आज के ब्लॉग में \’आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए घरेलू नुस्खे।

Ankhon ki roshni

जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अद्भुत खजाना है – हमारी आँखें। यही हमें दुनिया को देखने, समझने और अनुभव करने में मदद करती हैं।

आंखों की रोशनी कम होने के कारण

आंखों की रोशनी विभिन्न कारणों से कम हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:

1) आनुवांशिकी

हमारी आंखों की सेहत पर हमारे जीन्स, यानि अनुवांशिकी का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। कई बार, आंखों की कुछ समस्याएं, जैसे कि नजदीक की चीजें धुंधली दिखना (मायोपिया) या दूर की चीजें साफ न दिखना (हायपरोपिया), हमें हमारे माता-पिता से मिलती हैं। इसका मतलब है कि अगर मम्मी-पापा या परिवार के अन्य सदस्यों को ये समस्याएं हैं, तो बच्चों को भी होने की संभावना रहती है।

2) उम्र बढ़ने के साथ आंखों में बदलाव

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी आंखों की क्षमता में भी प्राकृतिक रूप से परिवर्तन आता है। इसके सबसे आम उदाहरण हैं प्रेस्बायोपिया और मोतियाबिंद।  प्रेस्बायोपिया वो स्थिति है जब हमें पास की चीजें साफ नहीं दिखतीं। यह ज्यादातर 40 की उम्र के बाद होता है क्योंकि आंखों का लेंस अपनी लचक खो देता है।

 मोतियाबिंद में आंख का लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे दिखने में धुंधलापन आता है। यह भी बढ़ती उम्र के साथ होता है। इनके अलावा, बढ़ती उम्र में आंखें सूखना (ड्राई आईज़) और ग्लूकोमा जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। 

3) असंतुलित आहार 

सही और संतुलित खान-पान का हमारी आंखों की सेहत पर बहुत बड़ा असर होता है। जब हमारे आहार में जरूरी विटामिन और मिनरल्स की कमी होती है, तो इससे हमारी आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ सकता है। विटामिन A, C, E और जिंक पोषक तत्व आंखों की अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। ये विटामिन और मिनरल्स आंखों को स्वस्थ रखते हैं और उन्हें विभिन्न समस्याओं से बचाते हैं।

4) लंबा समय स्क्रीन पर बिताना

आजकल हम बहुत समय मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी स्क्रीन पर बिताते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन पर लगातार नजर रखने से हमारी आंखों पर बहुत दबाव पड़ता है? इससे आंखों में थकान, जलन और धुंधलापन आ सकता है। ज्यादा समय तक स्क्रीन देखने से आंखों की रोशनी भी कमजोर हो सकती है।

इसे ’डिजिटल आई स्ट्रेन’ कहते हैं, जिसमें आंखों को बहुत जोर पड़ता है। इसलिए, हर 20 मिनट में थोड़ी देर के लिए स्क्रीन से नजरें हटाना, और आंखों को आराम देना जरूरी है। इसके अलावा, सही रोशनी में स्क्रीन देखना और स्क्रीन की चमक को आंखों के अनुकूल बनाए रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है।

5) धूम्रपान

धूम्रपान से आंखों की रोशनी कम हो सकती है। तंबाकू में पाए जाने वाले हानिकारक पदार्थ और निकोटीन आंखों की रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे आंखों की सेहत बिगड़ सकती है। इससे आंखों की कई बीमारियां जैसे कि जलन और ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है, जो देखने की क्षमता को कम कर सकती हैं।

6 ) स्वास्थ्य समस्याएं:

जब किसी को मधुमेह होता है, तो इसके कारण आंखों में डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक समस्या हो सकती है, जिसमें आंखों के पीछे की नसों में खराबी आ जाती है। इससे दृष्टि में धुंधलापन और कमजोरी आ सकती है।

इसके अलावा, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्याएं भी आंखों की रोशनी पर बुरा असर डाल सकती हैं। इन स्थितियों से आंखों की नसें और टिश्यूज कमजोर हो सकते हैं, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

7) पर्यावरण और आंखों की सेहत

हमारे आस-पास का पर्यावरण भी हमारी आंखों की सेहत को प्रभावित कर सकता है। बहुत ज्यादा धूल, धुआं और प्रदूषण के कण आंखों में जा सकते हैं और उनमें जलन, खुजली और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इससे आंखों की रोशनी में भी कमी आ सकती है।

इसके अलावा, सूरज की तेज किरणें भी आंखों के लिए हानिकारक होती हैं। यदि हम बिना उचित सुरक्षा के धूप में ज्यादा समय बिताते हैं, तो इससे आंखों की बाहरी परत को नुकसान पहुंच सकता हैं।

आंखों की रोशनी कम होने के लक्षण

धुंधला दिखना: अगर चीजें धुंधली या अस्पष्ट दिखाई दें, तो यह आंखों की रोशनी कम होने का एक संकेत हो सकता है।

पढ़ने में कठिनाई: अखबार, किताबें या मोबाइल स्क्रीन पर छोटे अक्षरों को पढ़ने में दिक्कत होना।

दूर की चीजें साफ न दिखना: दूर की वस्तुएं या बोर्ड पर लिखा हुआ पढ़ पाने में मुश्किल होना।

रात में दिखाई देने में परेशानी: रात के समय या कम रोशनी में चीजें साफ न दिखना।

आंखों में जलन या थकान: लंबे समय तक पढ़ने, टीवी देखने या कंप्यूटर पर काम करने के बाद आंखों में जलन या थकान महसूस होना।

सिरदर्द: आंखों की रोशनी कम होने के कारण अक्सर सिरदर्द हो सकता है, खासकर पढ़ने या स्क्रीन देखने के बाद।

डबल विजन: एक ही चीज का दो बार दिखाई देना।

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो यह आंखों की रोशनी कम होने का संकेत हो सकता है। 

आंखों की रोशनी बढ़ाने के घरेलू उपाय

हमारी आंखों की रोशनी को हम अपने रसोईघर में मौजूद सामग्री और कुछ स्वास्थ्यवर्धक आदतों के जरिए बढ़ा सकते हैं।

        उपाय                    विवरण
संतुलित आहारताजा फल, सब्जियां, नट्स शामिल करें
पैक्ड, प्रोसेस्ड फूड कम करनाअस्वास्थ्यकर भोजन से दूरी बनाएं
एक्सरसाइजनियमित शारीरिक गतिविधियां अपनाएं
आउटडोर गतिविधियांबाहर खेलें और प्राकृतिक प्रकाश में समय बिताएं
योगआंखों के लिए लाभदायक योगासन करें
नंगे पैर घास पर चलनाप्राकृतिक संपर्क से आंखों को लाभ
पर्याप्त पानी पीनाशरीर और आंखों को हाइड्रेटेड रखें
UV प्रोटेक्शन सनग्लासेस का उपयोगधूप में UV से आंखों की रक्षा करें
अच्छी नींद लेआंखों को आराम और विश्राम दें
रेगुलर आई चेक-अपसमय-समय पर आंखों की जांच करवाएं

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए

संतुलित आहार- एक संतुलित और पोषण से भरपूर आहार आंखों की सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक है। रोजाना ताजे फल और हरी सब्जियां खाने से आंखों को विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं, जो उन्हें स्वस्थ रखते हैं। गाजर, जो कि बीटा-कैरोटीन का एक समृद्ध स्रोत है, विटामिन A की पूर्ति करता है जो आंखों की रोशनी के लिए अनिवार्य है। पालक और अन्य हरी सब्जियां ल्यूटीन और ज़ेक्ज़ैंथिन से भरपूर होती हैं, जो आंखों के लिए लाभकारी हैं।

टमाटर और बेरीज जैसे खाद्य पदार्थ विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरे होते हैं, जो आंखों की सुरक्षा में सहायक होते हैं। ये पोषक तत्व आंखों के टिश्यू को मजबूत करते हैं और उन्हें उम्र से संबंधित नुकसान से बचाते हैं। 

विटामिन E एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो आंखों को उम्र से जुड़े नुकसान से बचाता है और सेल्स को मजबूत बनाए रखता है और मोतियाबिंद व अन्य आंखों की समस्याओं के जोखिम को कम करता है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जो कि मछली, अखरोट, और फ्लैक्ससीड्स में पाए जाते हैं, आंखों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। ये फैटी एसिड्स आंखों की नमी को बनाए रखने, ड्राई आईज़ की समस्या को कम करने और रेटिना की सेहत को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

संतुलित आहार नियमित रूप लेने से न सिर्फ आंखों की रोशनी बढ़ती है, बल्कि आंखों की समग्र सेहत भी बेहतर होती है।

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए कौन सा फल खाएं

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए खाने वाले फल

संतरा: संतरे में विटामिन C होता है, जो आंखों की सुरक्षा करता है और उन्हें स्वस्थ रखता है।

पपीता: पपीता में भी विटामिन A और C होते हैं, जो आंखों के लिए लाभकारी होते हैं।

ब्लूबेरीज: ये फल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं और आंखों की सेहत में सुधार करते हैं।

अंगूर: अंगूर में ल्यूटीन और ज़ेक्ज़ैंथिन होते हैं, जो आंखों की सुरक्षा में मदद करते हैं।

आम: आम में विटामिन A और C होते हैं, जो आंखों की रोशनी के लिए अच्छे होते हैं।

अंजीर: अंजीर में विटामिन A, B, और डी होते हैं, जो आंखों की समग्र सेहत को बढ़ाते हैं।

ये फल न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि आंखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करना आंखों की सेहत के लिए लाभदायक हो सकता है।

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज

पलक झपकाना: बार-बार पलक झपकाने से आंखों को आराम मिलता है और नमी बनी रहती है। यह स्क्रीन से लंबे समय तक काम करते समय विशेष रूप से उपयोगी है।

पेंसिल पुश अप्स: एक पेंसिल को अपनी आंखों के सामने होरिजॉन्टली रखें और उसे धीरे-धीरे अपनी नाक की ओर लाएं, फिर दूर ले जाएं। इससे आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

आंखों की गोलाई: बिना सिर हिलाए आंखों को घड़ी की दिशा में और फिर उल्टी दिशा में घुमाएं। यह एक्सरसाइज आंखों की मांसपेशियों को लचीला बनाती है।

दूर और पास देखना: कुछ समय के लिए दूर की वस्तु पर ध्यान केंद्रित करें, फिर करीब की वस्तु पर। इससे आंखों की फोकस क्षमता बेहतर होती है।

पलमिंग: आंखों को बंद करके हाथों को गर्म करें और फिर गर्म हथेलियों को आंखों पर रखें। यह आंखों को आराम देने और तनाव कम करने के लिए अच्छा है।

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए योग

त्राटक: यह योग अभ्यास ध्यान और आंखों की एकाग्रता को बढ़ाता है। एक निश्चित बिंदु पर बिना पलक झपकाए निरंतर देखना शामिल है।

अनुलोम विलोम: यह प्राणायाम तकनीक न सिर्फ संपूर्ण शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करती है, बल्कि आंखों को भी लाभ पहुंचाती है।

भ्रामरी प्राणायाम: इस प्राणायाम से आंखों के आसपास के हिस्से में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे आंखों की सेहत में सुधार होता है।

शीर्षासन: यह आसन सिर के बल खड़े होने की क्रिया है, जिससे सिर और आंखों में रक्त प्रवाह बढ़ता है। इससे आंखों की नसों को ताकत मिलती है।

सर्वांगासन: इस आसन में शरीर का वजन कंधों पर रहता है और पैर ऊपर उठे होते हैं। यह आसन भी आंखों के लिए लाभकारी है, क्योंकि इससे सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है।

ये योगासन और प्राणायाम तकनीकें आंखों की रोशनी बढ़ाने और आंखों की समग्र सेहत को सुधारने में सहायक हो सकती हैं। हालांकि, इन्हें किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।

हमने इस लेख में आपको आंखों की रोशनी बढ़ाने के सामान्य तरीके बताए हैं, जिन्हें आप अपनी दैनिक जीवनशैली में शामिल करके अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। हालांकि, अगर आपको आंखों में कोई परेशानी महसूस होती है, तो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि वे आंखों का चेकअप करके आपको सही स्थिति बता सकेंगे।

इन घरेलू उपायों को अपनाकर आप अपने चश्मे के पावर को कम कर सकते हैं और संभवत: चश्मा उतार भी सकते हैं। लेकिन यह याद रखें कि आंखों की देखभाल और समस्याओं का सही उपचार एक विशेषज्ञ आँखों के डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।

बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के उपाय

पर्याप्त पानी पीना

यह आम बात है कि बच्चे कई बार पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं। पानी हमारी आंखों को हाइड्रेटेड रखने का काम करता है, जिससे आंखें सूखने और थकने से बची रहती हैं। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो आंखों में सूखापन और जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो कि आंखों की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।

पानी पीने से शरीर से टॉक्सिन्स भी बाहर निकलते हैं, जो आंखों की सेहत के लिए अच्छा होता है। इसलिए, बच्चों और बड़ों को रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। बच्चों के लिए कम से कम 3-4 गिलास पानी पर्याप्त हो सकता है, जबकि बड़ों को 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है।

अच्छी नींद लेना

अच्छी नींद लेना हमारे समग्र स्वास्थ्य और विशेष रूप से हमारी आंखों के लिए बहुत जरूरी है। जब हम पूरी और गहरी नींद लेते हैं, तो हमारी आंखों को पूरी तरह से आराम मिलता है। इस दौरान, आंखों में मौजूद छोटी मांसपेशियाँ विश्राम पाती हैं और रक्त संचार भी बेहतर होता है।

नींद की कमी से व्यक्ति की आंखों में थकान, सूजन, लाली, और दृष्टि में धुंधलापन आ सकता है। इसलिए, वयस्कों के लिए प्रति दिन 7-8 घंटे की नींद लेना और बच्चों के लिए 9-11 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है। नियमित और पर्याप्त नींद लेने से आंखों की सेहत में सुधार होता है और आंखों की रोशनी भी बेहतर बनी रहती है।

आउटडोर गतिविधियां

बच्चों के लिए रोजाना बाहर खेलना बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर उनकी आंखों की सेहत के लिए। जब बच्चे बाहर खेलते हैं, तो उन्हें प्राकृतिक रोशनी मिलती है, जो उनकी आंखों की सेहत के लिए लाभकारी होती है। प्राकृतिक रोशनी में खेलने से आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और यह उनकी दूर दृष्टि को भी बेहतर बनाता है।इसके अलावा, आउटडोर गतिविधियां बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय रखती हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारती हैं। 

इसलिए, माता-पिता और शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों को टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन से दूर रखकर उन्हें अधिक से अधिक बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।

UV प्रोटेक्शन सनग्लासेस

जब भी बच्चे धूप में निकलें, उन्हें UV (अल्ट्रावायलेट) संरक्षण वाले सनग्लासेस पहनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये सनग्लासेस बच्चों की आंखों को सूरज की हानिकारक UV किरणों से बचाते हैं, जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

UV किरणें आंखों में सूजन, जलन का कारण बन सकती हैं यह न केवल उनकी आंखों को सुरक्षित रखता है, बल्कि उन्हें आरामदायक और स्टाइलिश भी बनाता है। UV प्रोटेक्शन वाले सनग्लासेस बच्चों की आंखों के लिए एक जरूरी सुरक्षा उपकरण हैं, खासकर गर्मी के मौसम में।

नंगे पैर घास पर चलना

सुबह के समय नंगे पैर घास पर चलना आंखों की रोशनी के लिए बहुत लाभकारी होता है। जब हम नंगे पैर घास पर चलते हैं, तो हमारे शरीर का दबाव पैरों के अंगूठों पर पड़ता है। इससे हमारे शरीर की ऊर्जा चक्रों में संतुलन आता है, जिसका सकारात्मक प्रभाव हमारी आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है।

साथ ही, हरी घास पर चलने से आंखों को प्राकृतिक रूप से ठंडक और सुकून मिलता है। यह आंखों की थकान को कम करता है और उन्हें तरोताजा बनाता है।

पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड्स के उपयोग को कम

पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड्स के अधिक सेवन से बच्चों की आंखों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन खाद्य पदार्थों में अक्सर अधिक चीनी, नमक और अस्वास्थ्यकर (unhealthy) वसा होते हैं, जो बच्चों में मोटापा, मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। ये स्थितियाँ आंखों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं, जैसे कि दृष्टि सम्बन्धी समस्याएँ और आंखों की अन्य बीमारियाँ।

रेगुलर आई चेक-अप

बच्चों का नियमित रूप से आई चेक-अप करवाना भी उतना ही जरूरी है, जितना कि वयस्कों के लिए।कई बार हम बच्चों की आंखों में होने वाली छोटी-मोटी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में बड़ी दिक्कतों का कारण बन सकती हैं। इसलिए, समय-समय पर आंखों की जांच करवाने से हम इन समस्याओं को जल्दी पकड़ सकते हैं और सही समय पर इलाज कर सकते हैं।

निष्कर्ष

हमने इस लेख में आपको आंखों की रोशनी बढ़ाने के सामान्य तरीके बताए हैं, जिन्हें आप अपनी दैनिक जीवनशैली में शामिल करके अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। हालांकि, अगर आपको आंखों में कोई परेशानी महसूस होती है, तो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि वे आंखों का चेकअप करके आपको सही स्थिति बता सकेंगे।

FAQs

आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए कौन सा विटामिन चाहिए?

विटामिन A,विटामिन C,विटामिन E,और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स ये विटामिन और पोषक तत्व न सिर्फ आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करते हैं।

क्या मोबाइल चलाने से आंखें खराब होती हैं?

हां, अधिक समय तक मोबाइल चलाने से आंखों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकती है और आंखों में थकान, सूजन, और दृष्टि में अस्थायी धुंधलापन का कारण बन सकती है। लंबे समय तक नजदीकी फोकस करने से ’कंप्यूटर विजन सिंड्रोम’ या ’डिजिटल आई स्ट्रेन’ भी हो सकता है।

1 दिन में मोबाइल कितना चलाना चाहिए?

विशेषज्ञों का सुझाव है कि वयस्कों को प्रतिदिन 2 घंटे से अधिक समय तक मनोरंजन के लिए स्क्रीन का उपयोग नहीं करना चाहिए। बच्चों और किशोरों के लिए, यह समय और भी कम होना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि हर 20 मिनट के बाद कम से कम 20 सेकंड के लिए दूर की चीजों पर नजर डालें, जिसे ’20-20-20 नियम’ कहते हैं।

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