छोटे बच्चों के पेट में कीड़े होने के लक्षण!

Stomach worm

पेट में कीड़े की समस्या छोटे बच्चों में आम होती है, लेकिन कई बार हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं या पहचान नहीं पाते। बच्चों का डी-वर्मिंग करवाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह उनकी ग्रोथ में मदद करता है और सेहत के लिए फायदेमंद होता है। 

इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि पेट में कीड़ों के लक्षण कैसे पहचानें, इसके संभावित कारण क्या हैं, और इस समस्या से अपने बच्चे को कैसे बचाएं। जानिए वो सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जो आपके बच्चे को स्वस्थ और खुशहाल रखने में मदद कर सकती हैं।

पेट का कीड़ा | Worms in Stomach in hindi

पेट के कीड़े एक प्रकार के परजीवी (parasite) होते हैं जो बच्चों के पेट में रहते हैं और उनसे पोषण प्राप्त करते हैं। ये छोटे-छोटे कीड़े विभिन्न प्रकार के होते हैं, लेकिन बच्चों में राउंडवर्म (गोलकृमि) और पिनवर्म (सूई कीड़ा) ही ज्यादातर पाए जाते हैं।

राउंडवर्म (गोलकृमि): ये गोल आकार के होते हैं और गंदी मिट्टी या गंदे खाने से फैलते हैं। अगर बच्चे गंदगी में खेलते हैं या गंदे हाथों से खाना खाते हैं, तो ये अंडे उनके पेट में चले जाते हैं। नंगे पैर मिट्टी में चलने से भी ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। पालतू जानवर भी राउंडवर्म के अंडे फैला सकते हैं।

पिनवर्म (सूई कीड़ा): ये छोटे, सफेद, धागे जैसे होते हैं और गुदा क्षेत्र में खुजली का कारण बनते हैं। पिनवर्म के अंडे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या उनके उपयोग किए हुए शौचालय का उपयोग करने से फैलते हैं, खासकर अगर शौचालय साफ न हो। ये अंडे गुदा क्षेत्र में खुजली पैदा करते हैं, जिससे बच्चे बार-बार खुजलाते हैं और अंडे फैलते रहते हैं। मीठा खाने से पिनवर्म होने की संभावना और अधिक होती है।

पेट में कीड़े होने के नुकसान | Harmful Effects of Stomach Worms

सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे स्वस्थ और मजबूत बनें, लेकिन पेट के कीड़े बच्चे के पोषण को खाकर उनकी इम्युनिटी को कमजोर कर देते हैं। इस कारण वे अक्सर बीमार रहने लगते हैं, और यह उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ में रुकावट बनता है, जिससे बच्चे का सही ढंग से विकास नहीं हो पाता। कई बार तो कीड़ों के कारण आंतों में रुकावट, एनीमिया, आंतों में सूजन और संक्रमण जैसी गंभीर समस्याएं हो जाती हैं। इसलिए, बच्चों का समय पर इलाज और नियमित डी-वर्मिंग करवाना बहुत जरूरी है।

छोटे बच्चों के पेट में कीड़े होने के लक्षण | Symptoms of worms in kids

छोटे बच्चों के पेट में कीड़े होने के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

  • पेट में दर्द और दस्त या कब्ज: बच्चे को अक्सर पेट में दर्द की शिकायत होती है और लगातार दस्त या कभी-कभी कब्ज हो सकता है।
  • भूख में कमी और वजन घटना: खाने की इच्छा में कमी आना और बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम होना।
  • गुदा क्षेत्र में खुजली और नींद में परेशानी: विशेषकर रात के समय गुदा क्षेत्र में खुजली होना, जिससे बच्चे की नींद में खलल पड़ता है।
  • थकान, कमजोरी और चिड़चिड़ापन: बिना किसी कारण के थकान और कमजोरी महसूस करना और बच्चे का चिड़चिड़ा होना।
  • दांत पीसना, मतली और उल्टी: रात के समय दांत पीसना, बार-बार मतली महसूस होना और कभी-कभी उल्टी होना।
  • पोटी में दुर्गंध: जब बच्चों के पेट में कीड़े होते हैं, तो उनकी पोटी से बहुत ज्यादा दुर्गंध आ सकती है।

बच्चों के पेट में कीड़े होने के घरेलू उपाय | Stomach worms home remedies

अगर आपके बच्चे के पेट में कीड़े है तो दूर करने के लिए अपनाये ये घरेलू नुस्खे ( home remedies for worms) :

1) काली मिर्च और छाछ

काली मिर्च में पिपेरिन होता है, जो आंतों के कीड़ों को मारने में मदद करता है, जबकि छाछ पाचन को बेहतर बनाता है। सुबह खाली पेट छाछ में काली मिर्च मिलाकर पीने से पेट के कीड़े खत्म हो सकते हैं। इसे नियमित रूप से 1 सप्ताह तक पीने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

2) कद्दू के बीज

कद्दू के बीजों में कुकर्बिटिन नामक पदार्थ होता है, जो कीड़ों को लकवाग्रस्त कर देता है और उन्हें शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। कद्दू के बीजों को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े खत्म हो सकते हैं। इसे नियमित रूप से 4-5 दिन तक दें।

3) हल्दी दूध

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली यौगिक है, जो कीड़ों को मारने और आंतों की सफाई में सहायक होता है। इसके सेवन से पेट के कीड़े मर जाते हैं और बच्चे के मल के साथ निकल जाते है। एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर बच्चे को रोजाना रात को सोने से पहले दें।

4) हींग का पानी

हींग में मौजूद एंटीपैरासिटिक गुण आंतों में कीड़ों को निष्क्रिय कर देते हैं और उन्हें शरीर से बाहर निकालने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, हींग पाचन को सुधारता है और पेट दर्द, गैस, अपच जैसी समस्याओं को भी दूर करता है। एक चुटकी हींग को गुनगुने पानी में मिलाकर बच्चे को पिलाएं। इसे आप सुबह या रात, कभी भी दे सकते हैं।

5) लहसुन और शहद

लहसुन में एंटीपैरासिटिक गुण होते हैं, जो कीड़ों को मारने और संक्रमण को खत्म करने में सहायक होते हैं। शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पाचन को सुधारते हैं। एक या दो लहसुन की कलियां पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर बच्चे को रात को सोने से पहले दें। इसे 1 सप्ताह तक नियमित रूप से देने से पेट के कीड़े खत्म हो सकते हैं ।

6) गाजर

गाजर में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन होते हैं, जो आंतों के कीड़े को खत्म करने में सहायक होते हैं। ये पोषक तत्व आंतों को साफ रखने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। रोज एक या दो ताजे गाजर खाने से बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उनकी आँखों की रोशनी भी बढ़ती है।

7) नीम गुड़ की गोली  

नीम का यह उपाय न केवल पेट के कीड़ों को मारने का काम करता है, बल्कि बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity) को भी मजबूत करता है क्योकि इस में प्रचुर मात्रा में एंटीपैरासिटिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को साफ रखने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। 

नीम पाउडर में बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और सुबह खाली पेट बच्चे को 1-1 गोली  दें। नीम और गुड़ की गोलियां बच्चों को आसानी से दी जा सकती हैं और उनका स्वाद भी बेहतर होता है।

कुछ बातें ध्यान रखें:

1) साफ-सफाई: बच्चों को नियमित हाथ धोने और नाखून काटने की आदत डालें। खेल के सामान, बिस्तर, और कपड़े साफ रखें। पालतू जानवरों की साफ-सफाई का ध्यान रखें।

2) सही तरीके से भोजन तैयार करें: भोजन को अच्छी तरह पकाएं और साफ पानी का उपयोग करें। फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही बच्चों को खिलाएं।

3) नियमित डी-वर्मिंग: बच्चों को समय-समय पर डी-वर्मिंग करवाएं, खासकर डॉक्टर की सलाह पर।

सरकार द्वारा नेशनल डीवॉर्मिंग डे हर साल 10 फरवरी और 10 अगस्त को दो बार मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बच्चों में पेट के कीड़ों को खत्म करना और उनके स्वास्थ्य में सुधार करना है। इस दिन, स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में 1 से 19 साल के बच्चों को कीड़े मारने की दवा मुफ्त में दी जाती है।

FAQs

पेट में बनने वाले कीड़ों को क्या कहते हैं?

पेट में बनने वाले कीड़ों को “कृमि” या “परजीवी कृमि” कहते हैं। अंग्रेजी में इन्हें “intestinal worms” या “parasites” कहा जाता है।

डिवर्मिंग के क्या फायदे हैं?

डिवर्मिंग के कई फायदे हैं, जिनमें प्रमुख हैं: पोषण में सुधार, जिससे कृमि के कारण होने वाली पोषक तत्वों की कमी दूर होती है; शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, जिससे बच्चों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है; रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, जिससे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है; और बीमारियों से बचाव, जिससे पेट दर्द, दस्त, और अन्य पाचन समस्याओं में कमी आती है।

बच्चे को कृमि की दवा कब दें?

जब पेट में दर्द, दस्त, भूख में कमी, वजन घटना, गुदा क्षेत्र में खुजली, थकान, नींद में परेशानी, दांत पीसना, मतली, चिड़चिड़ापन या पोटी में दुर्गंध जैसे लक्षण दिखाई दें, और डॉक्टर की सलाह पर। इन स्थितियों में दवा देने से बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है और कृमि का संक्रमण समाप्त हो सकता है।

क्या डीवर्मिंग सुरक्षित है?

हाँ, डीवर्मिंग आमतौर पर सुरक्षित है। डीवर्मिंग दवाओं का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है और इनके दुष्प्रभाव दुर्लभ होते हैं। हालांकि, किसी भी दवा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

साल में कितनी बार डीवर्म करना चाहिए?

सामान्यतः, बच्चों को साल में दो बार डीवर्म करना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर की सलाह पर अधिक बार भी डीवर्म किया जा सकता है।

डीवर्मिंग के बाद शरीर में क्या होता है?

डीवर्मिंग के बाद, सारे कीड़े  मारे जाते हैं और मल के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इससे बच्चे के पाचन तंत्र में सुधार होता है और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है। कुछ बच्चों में हल्का पेट दर्द, दस्त, या मतली हो सकती है, जो सामान्यतः कुछ दिनों में ठीक हो जाती है।

डीवर्मिंग में कितना समय लगता है?

डीवर्मिंग प्रक्रिया में बहुत कम समय लगता है। कृमि की दवा खाने के बाद, कृमि आमतौर पर 24 से 48 घंटे के भीतर मर जाते हैं और मल के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। पूरी प्रक्रिया में कुछ दिनों का समय लग सकता है।

क्या पेट में कीड़े होने से रैशेज हो सकते हैं?

हाँ,  पेट में कीड़े होने से रैशेज हो सकते हैं। विशेषकर गुदा क्षेत्र में खुजली और जलन होती है, जिससे रैशेज की समस्या उत्पन्न हो सकती है। कुछ प्रकार के कीड़े, जैसे पिनवर्म, रात में गुदा क्षेत्र में अंडे देते हैं, जिससे वहां खुजली और रैशेज हो जाते हैं।

इंसान के पेट में कितने कीड़े होते हैं?

इंसान के पेट में विभिन्न प्रकार के कीड़े हो सकते हैं, जैसे राउंडवर्म, पिनवर्म, टेपवर्म, हुकवर्म, आदि। इनकी संख्या और प्रकार संक्रमण की गंभीरता और व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं। सामान्यतः, पेट में एक समय में कई कीड़े हो सकते हैं, जो पोषण की कमी और पाचन समस्याओं का कारण बनते हैं।

बड़ों के पेट में कीड़े पड़ जाए तो क्या करें?

यदि बड़ों के पेट में कीड़े हो गए तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। डॉक्टर द्वारा सुझाई गई डीवर्मिंग दवा का सेवन करना चाहिए और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नियमित हाथ धोना, साफ और पका हुआ खाना खाना, और साफ पानी पीना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, घरेलू इलाज जैसे लहसुन, कद्दू के बीज, और हल्दी का उपयोग भी सहायक हो सकता है, लेकिन किसी भी उपचार को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

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